.तो क्या चुनावी स्टंट था जन लोकपाल बिल?
ऐतिहासिक रामलीला मैदान का वह मंजर याद कीजिए। करीब डेढ़ महीने पहले जब अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने पहुंचे थे, तो उन्होंने अपने संबोधन में कहा था कि इसी मैदान में वे जन लोकपाल बिल को भी पारित करेंगे और भ्रष्टाचारियों को जेल भेजेंगे। अब जब उन्होंने इस्तीफा दे दिया है तो सियासी गलियारों में चचा
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। ऐतिहासिक रामलीला मैदान का वह मंजर याद कीजिए। करीब डेढ़ महीने पहले जब अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने पहुंचे थे, तो उन्होंने अपने संबोधन में कहा था कि इसी मैदान में वे जन लोकपाल बिल को भी पारित करेंगे और भ्रष्टाचारियों को जेल भेजेंगे। अब जब उन्होंने इस्तीफा दे दिया है तो सियासी गलियारों में चर्चा है कि क्या उनका जन लोकपाल बिल महज चुनावी स्टंट भर था। विधानसभा चुनाव प्रचार के पूरे अभियान में उन्होंने जनता को यही संदेश देने की कोशिश की कि भ्रष्टाचार के खिलाफ वह और उनकी पार्टी ही लड़ सकती है। लेकिन सरकार बनाने के बाद उन्होंने इस बिल को लेकर जितने भी कदम उठाए, वे संविधान के नियमों व कानूनों के खिलाफ थे।
बता दें कि जब केजरीवाल सरकार जन लोकपाल बिल का प्रारूप तैयार कर रही थी, तो सरकार के कई विभागों, गृह विभाग, वित्त विभाग, विधि व न्याय विभाग, प्रशासनिक सुधार विभाग, सबने इसके प्रावधानों पर गंभीर आपत्तियां दर्ज कराईं। केजरीवाल के मातहत काम करने वाले अधिकारियों ने उनसे यह भी कहा था कि चूंकि यह एक वित्त विधेयक है लिहाजा, बगैर उपराज्यपाल की मंजूरी के इसे विधानसभा में तो क्या मंत्रिमंडल तक में मंजूर नहीं किया जा सकता। केजरीवाल नहीं मानें। तमाम आपत्तियों को दरकिनार कर, मंत्रिमंडल ने इस बिल को मंजूरी दे दी।