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लेह में अपनी भूमि पर नहीं फहरा सकते तिरंगा

जम्मू- कश्मीर अध्ययन केंद्र के निदेशक आशुतोष का कहना है कि कश्मीर में पाकिस्तानी आतंकवादियों का दबदबा है तो लेह के सीमावर्ती क्षेत्रों में चीन का। लेह की सीमा से सटे इलाकों में चीन बिना गोलीबारी किए हमारी धरती पर कब्जा जमा रहा है। बावजूद इसके हमारी सरकार चुप है कि चीन नाराज हो जाएगा। श

By Edited By: Updated: Sun, 02 Feb 2014 08:40 AM (IST)
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रांची, जागरण संवाददाता। जम्मू- कश्मीर अध्ययन केंद्र के निदेशक आशुतोष का कहना है कि कश्मीर में पाकिस्तानी आतंकवादियों का दबदबा है तो लेह के सीमावर्ती क्षेत्रों में चीन का। लेह की सीमा से सटे इलाकों में चीन बिना गोलीबारी किए हमारी धरती पर कब्जा जमा रहा है। बावजूद इसके हमारी सरकार चुप है कि चीन नाराज हो जाएगा। शुक्रवार को संघ कार्यालय में जागरण से विशेष बातचीत में आशुतोष ने पिछले साल की अपनी यात्रा के बारे में बताया।

उन्होंने कहा कि गत वर्ष सितंबर में इंडिया फाउंडेशन के शौर्य डोवल और आइबी के अवकाश प्राप्त अधिकारी आर एन रवि के साथ लेह गए थे। उन्होंने बताया कि लेह के आखिरी गांव देमचौक में जनरल जोरावर किला है। पहले इसमें भारतीय सेना के जवान रहते थे। अब चीन के रहते हैं। यहां अपने देश का झंडा भी नहीं फहरा सकते। पहले चीन की चौकियां सिंधु नदी से 10-15 किमी दूर हुआ करती थीं। अब वह सिंधु के इस पार दस किमी अंदर बन गई हैं। चीन ने सिंधु के उस पार फोरलेन सड़कें, मोबाइल टॉवर से लेकर मकान तक बना दिए हैं। यहां भारत का टॉवर भी काम नहीं करता। चीन यहां की स्थानीय भाषा भोटी में कई कार्यक्रम भी प्रसारित करता है। पर्याप्त साधनों के अभाव में यहां का दर्द देश के सामने नहीं आ पाता और केंद्र सरकार सच्चाई छुपा लेती है। यहां से लौटकर आशुतोष ने 'जम्मू-कश्मीर : तथ्यपरक विश्लेषण' नाम की किताब भी लिखी है।

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