Move to Jagran APP

हम ईंट का जवाब पत्थर से नहीं देतेः प्रधानमंत्री

दिल्ली में मोदी सरकार का एक साल पूरा होने से पहले ही विपक्ष हमलावर है। केंद्र सरकार को उसके वादों की कसौटी पर परखने के साथ-साथ उसके खिलाफ विपक्ष की मोर्चेबंदी भी मजबूत करने की कोशिश हो रही है। संसद में भी सरकार के खिलाफ विपक्ष के आक्रामक तेवर दिखे,

By Murari sharanEdited By: Updated: Sun, 10 May 2015 05:22 PM (IST)
Hero Image

नई दिल्ली, [प्रशांत मिश्र/राजकिशोर]। दिल्ली में मोदी सरकार का एक साल पूरा होने से पहले ही विपक्ष हमलावर है। केंद्र सरकार को उसके वादों की कसौटी पर परखने के साथ-साथ उसके खिलाफ विपक्ष की मोर्चेबंदी भी मजबूत करने की कोशिश हो रही है। संसद में भी सरकार के खिलाफ विपक्ष के आक्रामक तेवर दिखे, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जरा भी विचलित या दबाव में नहीं हैं।

बतौर प्रधानमंत्री लगभग एक साल दिल्ली में बिताने के बाद वह अगले पांच-सात सालों में देश की अलग तस्वीर को लेकर आश्वस्त हैं। वह विपक्ष खासतौर से कांग्रेस की छटपटाहट के पीछे सरकार की कर्मठता और लोकप्रियता को ही वजह मानते हैं। सदन में विपक्ष के आक्रमक रुख पर भी उन्होंने साफ कहा कि शालीनता कमजोरी नहीं है। हम ईंट का जवाब पत्थर से नहीं देना चाहते।

केंद्र में मोदी सरकार के एक साल पूरे होने से पहले –दैनिक जागरण- से उन्होंने राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, अंतरराष्ट्रीय, खेती-किसानी और मजदूरों से जुड़े सभी विषयों पर तफसील से बातचीत की। लोकसभा चुनाव के समय का उनका जोश और आशावादिता आज भी बरकरार है। साल भर के प्रदर्शन को चौतरफा कसौटी पर कसे जाने और विपक्ष के तीखे आरोपों के बीच मोदी ने कहा कि उन पर लेशमात्र भी दबाव नहीं है। बल्कि देश को निराशा के माहौल से उबारने और सही ढर्रे पर व्यवस्था को लाने से मिले अच्छे नतीजों के बाद काम करने की उमंग बढ़ती जा रही है।

सो नहीं पा रहा विपक्ष

कारपोरेट परस्त, किसान व गरीब विरोधी जैसे विपक्ष के आरोपों को उन्होंने कांग्रेस की खीझ करार दिया। उन्होंने कहा कि हम जिन संकल्प को लेकर चल रहे हैं। उनके तहत आने वाले पांच-सात सालों में देश की तस्वीर अलग होगी और यही बात उनको सोने नहीं दे रही है। इसलिए हमारे कामों में बाधा डालने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। अच्छी भावनाओं के साथ उठाए गए हमारे कदमों को भी वे लोग गरीब विरोधी और किसान विरोधी करार दे रहे हैं।

शालीनता कमजोरी नहीं

संसदीय प्रबंधन में कमी पर प्रधानमंत्री ने कहा कि शालीनता, भद्रता, विवेक, नम्रता इन चीजों को कमजोरी नहीं मानना चाहिए। अगर जनता ने हमें शासन की बागडोर दी है तो सबसे अधिक नम्रता और शालीनता हमारी जिम्मेदारी है। इसलिए कभी हाउस में हमें कम अंक भी मिलते होंगे तो मैं इसे बुरा नहीं मानता हूं। हम ईंट का जवाब पत्थर से नहीं देते हैं। जहां तक सदन चलाने का सवाल है। शासक दल के नाते हमारी भूमिका सबको साथ लेकर चलना। उसी का परिणाम है कि 40 बिल इतने कम समय में पारित हो गए।

भूमि अधिग्रहण कानून संशोधन जरूरी

भूमि अधिग्रहण विधेयक में बदलाव को उन्होंने देशहित में जरूरी बताया। यह कानून 120 साल बाद बदला गया था। इतने पुराने कानून पर विचार के लिए 120 घंटे भी लगाए थे क्या? नहीं लगाए थे। और उसमें सिर्फ कांग्रेस पार्टी दोषी है, ऐसा नहीं है। हम भी भाजपा के तौर पर दोषी हैं क्योंकि हमने साथ दिया था। चुनाव सामने थे और सदन पूरा होना था, इसलिए जल्दबाजी में निर्णय हो गया। अब सभी मुख्यमंत्रियों के कहने पर उसमें जरूरी संशोधन किए गए हैं, जो कहीं से भी किसान विरोधी या कारपोरेट के हित में नहीं हैं। वास्तव में वे सभी किसानों व गरीबों के हित में हैं। विपक्ष दुष्प्रचार कर रहा है। हकीकत लोगों की समझ में आ जाएगी।

पहले हर विभाग था सरकार

दिल्ली का स्वभाव हो या गठबंधन की सरकारों का स्वभाव हो या फिर बहुमत का अभाव हो, हर विभाग अपने में सरकार बन गया था। मेरे यहां आते ही यह विषय जेहन में आया। सरकार एक होती है और अंग-उपांग व विभागों को मिलकर चलना होता है। साथ ही पहले यहां सब कुछ एक खोल के अंदर चलता था और फाइलें सालों एक खोल से दूसरे खोल में घूमती रहती थीं। अब इसे तोड़कर काम में तेजी लाई गई है। कुछ लोगों की शिकायत हो सकती है कि मोदी राज में सवेरे समय से आफिस जाना पड़ता है। मगर देशहित में सब काम करना चाहते हैं, जब नतीजे आते हैं तो अच्छा लगता है।

राज्यों के प्रति हीन भाव था

चुनाव से पहले विदेश नीति की समझ पर सवाल उठाने वाले विपक्ष पर मोदी ने करारा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि जब शपथ समारोह में सार्क देशों को बुलाने का निर्णय किया तो विदेश नीति के पंडितों को आश्चर्य हुआ। लेकिन मैं एक बात अनुभव करता था कि यह कैसा मनोविज्ञान था, जिसमें राज्यों को सहभागी मानने का स्वभाव नहीं था। ये देश एक पिलर से खड़ा नहीं हो सकता है। वन- प्लस 29 पिलर से ही देश खड़ा हो सकता है।

गंगा पर गलती नहीं दोहराऊंगा

गंगा सफाई का विषय 84 से चल रहा है। हजारों करोड़ रुपये खर्च किए गए। लेकिन परिणाम नहीं निकले। मुझे पहले यह खोजना है कि गलती क्या हुई और बर्बादी क्या हुई। अगर मैं भी वही गलती दोहराऊंगा तो फिर करोडो़ं रुपये बर्बाद हो जाएंगे।

उद्योग जनता के लिए

उद्योग जगत की कथित नाखुशी पर मोदी ने दो टूक कहा कि जो ईमानदारी से आगे बढ़ना चाहता है, बड़ा बनना चाहता है, उसके लिए हमारी नीतियां स्पष्ट हैं। उसका लाभ कोई भी उठा सकता है। लेकिन अगर गलत रास्ते से किसी को कुछ पाना है तो यह इस सरकार में संभव नहीं है। तो ये शिकायत बहुत स्वाभाविक है। उद्योग की अनदेखी का सवाल ही नहीं उठता है। लेकिन हम देश में उन उद्योगों का जाल बिछाना चाहते हैं जिसके कारण सर्वाधिक लोगों को रोजगार मिले। लेकिन रोजगार निर्माण की इस प्रक्रिया में उद्योग जगत के लिए बहुत सी संभावनायें खुलेंगी।

बड़बोले नेताओं को ताकीद

समय-समय पर सरकार या भाजपा की तरफ से विवादित बयान देने वाले नेताओं को भी उन्होंने ताकीद की। उन्होंने कहा कि ऐसी बातों से देश का नुकसान होता है और इस प्रकार की बयानबाजी करने वालों को भी बचना चाहिए और देश के प्रबुद्धजनों को भी ऐसी बातों को तवज्जो देना बंद करना चाहिए।

गुजरात और दिल्ली दोनों ही जेलखाना

गुजरात और दिल्ली की संस्कृति में बतौर प्रशासक प्रधानमंत्री को कोई फर्क महसूस नहीं होता। उन्होंने कहा कि मुझे इन चीजों से रूबरू होने का अवसर ही नहीं मिलता है। वहां भी मेरा जेलखाना था, यहां भी मेरा जेलखाना है। इसलिए, उस प्रकार से सहज जीवन से रूबरू होना फिर जांचना संभव नहीं होता है। थोड़ा बहुत होता है तो किसी शादी-ब्याह में चला जाता हूं। वहां भी मैं बहुत सहज नहीं होता हूं। जाता हूं और चला आता हूं। एक मेरी दिनचर्या में कोई फर्क नहीं है। मैं वही पांच बजे उठता हूं। विदेश जाता हूं तभी भी उतने बजे उठता हूं। लगता है कि मेरा बाडी क्लॉक ही ऐसे वर्क करता है। वर्कहोलिक हूं काम बहुत करता हूं।


[प्रधानमंत्री का विस्तृत साक्षात्कार सोमवार के अंक में पढ़ें]

पढ़ेंः कोलकाता में पीएम मोदी ने लांच की तीन योजनाएं

पढ़ेंः बच्चों के रोचक सवालों का प्रधानमंत्री ने दिया अपने अंदाज में जवाब