उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को कहा कि अगर मौसम ने साथ दिया तो शनिवार तक बचाव कार्य पूरे कर लिए जाएंगे। केदारनाथ और हर्षिल से सभी को निकाल लिया गया है। अब सिर्फ बदरीनाथ में लोग रह गए हैं, जिन्हें निकाला जा रहा है। इसके अलावा राज्य सरकार ने कोर्ट को जानकारी दी कि अब तक एक लाख से ज्
By Edited By: Updated: Sat, 29 Jun 2013 03:33 AM (IST)
नई दिल्ली, [जाब्यू]। उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को कहा कि अगर मौसम ने साथ दिया तो शनिवार तक बचाव कार्य पूरे कर लिए जाएंगे। केदारनाथ और हर्षिल से सभी को निकाल लिया गया है। अब सिर्फ बदरीनाथ में लोग रह गए हैं, जिन्हें निकाला जा रहा है। इसके अलावा राज्य सरकार ने कोर्ट को जानकारी दी कि अब तक एक लाख से ज्यादा लोगों को प्रभावित क्षेत्रों से निकाला जा चुका है। मृतकों की संख्या अभी सही सही मालूम नहीं हो पाई है। बचाव कार्य पूरा होने के बाद ही उसका ठीक से पता चल सकेगा।
न्यायमूर्ति एके पटनायक व न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की पीठ ने राज्य सरकार की ओर से पेश किए गये ब्योरे और याचिकाकर्ता वकील अजय बंसल की ओर से दिए गए सुझावों को देखने के बाद मामले में आदेश देने की आपात जरूरत न देखते हुए सुनवाई 3 जुलाई तक टाल दी। मालूम हो कि वकील अजय बंसल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर उत्तराखंड में आई प्राकृतिक आपदा में फंसे लोगों को तत्काल बचाने और उन्हें राहत सामग्री पहुंचाने का आदेश मांगा था। जिस पर कोर्ट ने राज्य और केंद्र सरकार को तत्परता और तेजी से राहत व बचाव कार्य करने का आदेश दिया था और सरकार से किए गए कार्यो की रिपोर्ट मांगी थी।
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान उत्तराखंड सरकार की ओर से पेश वकील रचना श्रीवास्तव ने पीठ को बताया कि केदारनाथ और हर्षिल से सभी को निकाला जा चुका है। बदरीनाथ में करीब एक हजार लोग हैं, जो कि सुरक्षित हैं। अगर मौसम ने साथ दिया तो 29 जून तक बचाव कार्य पूरा कर लिया जाएगा। दूसरी ओर याचिकाकर्ता वकील ने जवानों पर लोगों को पैदल चलने पर मजबूर करने का आरोप लगाया। इसका राज्य सरकार ने खंडन किया और कहा कि उनकी प्राथमिकता बुजुर्ग, बीमार व महिलाओं को निकालने की है, लेकिन किसी को भी पैदल चलने पर मजबूर नहीं किया जा रहा है। राज्य सरकार की ओर से कोर्ट में पेश किए गए राहत और बचाव कार्य के ब्योरे में कहा गया है कि एनडीआरएफ, थल सेना, वायु सेना तथा राज्य पुलिस व प्रशासन ने मिलजुल कर समन्वय के साथ कार्य करते हुए लगभग 1,05,000 लोगों को आपदा क्षेत्र से बाहर निकाला है। प्रभावित लोगों को पर्याप्त मात्रा में भोजन व पीने का पानी मुहैया कराया जा रहा है। अधिकारियों को साफ निर्देश दिए गए हैं कि इस दौरान कोई भी व्यक्ति किसी भी रूप में प्रताड़ित नहीं होना चाहिए। बदरीनाथ में खाने पीने के सामान या केरोसीन की कोई कमी नहीं है। वहां बिजली और संचार सुविधाएं बहाल हो गई हैं।
राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया है कि बचाव कार्य में लगी सभी एजेंसियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि बचाव के दौरान परिवार बंटने नहीं चाहिए। उन्हें एक यूनिट के तौर पर देखा जाए। आपदा में फंसे लोगों को अपने घरों तक पहुंचाने का इंतजाम किया गया है। इसके लिए बड़ी संख्या में बसों व टैक्सियों को लगाया गया है। इसके अलावा राज्य सरकार ने रेलवे से अनुरोध किया है कि वह लोगों को मुफ्त में घर पहुंचाएं और उसका जो भी खर्च आए, उसे राज्य सरकार वहन करेगी। इतना ही नहीं एक सचिव स्तर के अधिकारी को नियुक्ति किया गया है जो आने वाली राहत सामग्री को लेकर उसे सुरक्षित जगह रखवाएगा। राहत सामग्री रखने के लिए स्पोटर््स कॉलेज आफ देहरादून को निश्चित किया गया है। यहां पहुंची राहत सामग्री को प्रभावित लोगों तक पहुंचाया जाएगा।
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