भारत पर आरोप लगाते समय पाक राष्ट्रपति भूल गए बांग्लादेश में किया गया कत्लेआम
कश्मीर पर मात खाने के बाद अब पाकिस्तान इस्लाम के मुद्ददे पर भारत के दूसरे पड़ोसियों को भड़काने का काम कर रहा है।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Mon, 09 Dec 2019 08:40 AM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। विश्व में कश्मीर पर मुंह की खाने के बाद पाकिस्तान अब भारत के मुस्लिम विरोधी होने की दुहाई देकर अनाप-शनाप बयानबाजी कर रहा है। पहले पाकिस्तान का राग केवल कश्मीर तक सीमित हुआ करता था, लेकिन अब जबकि कश्मीर की संवैधानिक स्थिति मेंबदलाव हो चुका है और पूरी दुनिया इस मुद्दे पर उसको अलग-थलग कर चुकी है तो पाकिस्तान को मुस्लिम विरोधी मुद्दे में दम लगने लगा है। यही वजह है कि वह अब अपनी छवि मुस्लिमों के सबसे बड़े हमदर्द बनने का ढोंग करने लगा है। जबकि हकीकत ये है कि आजादी के सात दशक बाद में भी पाकिस्तान में अहमदिया मुस्लिमों को उसने नहींअपनाया। मुहाजिर आज भी अपने हक के लिए लड़ रहे हैं। बलूचों को सात दशकों में उनकाहक नहीं मिल सका।
पाक अल्पसंख्यक
पाकिस्तान के अल्पसंख्यंकों की तो बात करनी ही बेमानी है। आलम ये है पाकिस्तान के राष्ट्रपति डॉक्टर आरिफ अलवी ये कहने से नहीं चूकते हैं किउनके अलावा बांग्लादेश भी भारत में रह रहे मुस्लिमों के साथ हो रहे भेदभाव को लेकर चिंतित है। आपको यहां पर बता दें कि पाकिस्तान ने बांग्लादेश की आजादी से पहले लाखों बंगाली मुस्लिमों को मौत के घाट उतारा था। जनरल नियाजी के शासन में बांग्लादेश ने अपने सबसे बुरे दौर को जिया था। इसकी वजह थी कि पाकिस्तान को केवल पूर्वी पाकिस्तान की जमीन पर हुकूमत करनी थी, लोगों की उन्हें जरूरत नहीं थी। वहां के मुस्लिम उनके लिए कोई मायने नहीं रखते थे।
भड़काने की कोशिश अब उसी पाकिस्तान के राष्ट्रपति बांग्लादेश को भारत के खिलाफ भ़ड़काने का काम कर रहे हैं। इसका जरिया वो केवल धर्म को बना रहे हैं। पाकिस्तान के साथ सबसे बड़ी समस्या यही रही है कि आजादी के फौरन बाद उसने जहांखुद को इस्लामिक राष्ट्र घोषित किया था वहीं धर्मनिरपेक्ष देश की घोषणा की थी। पाकिस्तान ने इस्लाम के नाम पर जेहाद का सहारा लिया और आज पूरी दुनिया में उसकी पहचान एक आतंकी मुल्क के तौर पर होती है। बांग्लादेश की ही बात करें तो वो कभी उसकी आजादी में भारत का योगदान नहीं भूल सकता है। न ही पाकिस्तान इस बात को कभी भुला सकता है कि उसके अस्सी हजार जवानों ने भारतीय जनरल के आगे सरेंडर किया था और खुद जनरल नियाजी ने उस सरेंडर के दस्तावेज पर साइन किए थे।
नागरिकता कानून 1955 बहरहाल, आपको यहां पर ये भी बतादें कि पाकिस्तान मुस्लिमों के नाम पर बांग्लादेश समेत अन्य देशों को भड़काने के लिए नागरिकता कानून 1955 में हुए बदलाव का इस्तेमाल कर रहा है। राष्ट्रपति अलवी का कहना है कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजिद ने उनसे बातचीत के दौरान बिहार में रह रहे मुस्लिमों के बांग्लादेश में घुसने पर चिंता जाहिर कीहै। उन्होंने यह बात सऊदी अरब के सांसदों के डेलिगेशन से कही है।उनके मुताबिक शेख हसीना का कहना था कि यदि बिहार में रह रहे मुस्लिमोंके खिलाफ भारत सरकार ने कोई फैसला लिया तो ऐसी सूरत में वो बांग्लादेश में घुसनेकी कोशिश करेंगे।
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