जानिए, कौन है तृप्ति देसाई और क्या है हाजी अली का मामला
शनि शिंगनापुर मंदिर में महिलाओं को प्रवेश दिलाने के लिए सामाजिक कार्यकर्ता तृप्ति देसाई ने अहम भूमिका निभाई है। आईए आपको बताते हैं कौन है तृप्ति देसाई..
By Atul GuptaEdited By: Updated: Wed, 20 Apr 2016 08:14 PM (IST)
मुंबई, जेएनएन। शनि शिंगनापुर मंदिर में महिलाओं को प्रवेश दिलाने के लिए भूमिता ब्रिगेड की प्रमुख तृप्ति देसाई ने मुहिम शुरू की हुई थी। उन्होंने कई बार मंदिर में प्रवेश की कोशिश लेकिन उन्हें प्रवेश नहीं करने दिया गया। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में अर्जी दायर की जिसके बाद कोर्ट ने भी उनके पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि स्त्री पुरूष को लेकर समाज में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।
ये भी पढ़ें- शनि शिंगनापुर के बाद अब हाजी अली में प्रवेश को मुहिम छेड़ेंगी तृप्ति देसाईकौन हैं तृप्ति देसाई? - पुणे की रहने वाली तृप्ति देसाई पिछले कई सालों से महिलाओं के हितों के लिए काम कर रही हैं।
- इसके लिए उन्होंने 'भूमाता ब्रिगेड' नाम की संस्था भी शुरू की है।
- सिर्फ पुणे में ही नहीं संस्था की शाखा अहमदनगर, नासिक और शोलापुर में भी है।
- वर्तमान समय में इस संस्था से 5000 से ज्यादा महिलाएं जुड़ी हुई हैं।
- इससे पहले वह अन्ना हजारे के संगठन इंडिया अगेंस्ट करप्शन से जुड़ी रही हैं।
- तृप्ति ने मुंबई के एसएनडीटी यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है।
- इसके लिए उन्होंने 'भूमाता ब्रिगेड' नाम की संस्था भी शुरू की है।
- सिर्फ पुणे में ही नहीं संस्था की शाखा अहमदनगर, नासिक और शोलापुर में भी है।
- वर्तमान समय में इस संस्था से 5000 से ज्यादा महिलाएं जुड़ी हुई हैं।
- इससे पहले वह अन्ना हजारे के संगठन इंडिया अगेंस्ट करप्शन से जुड़ी रही हैं।
- तृप्ति ने मुंबई के एसएनडीटी यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है।
ये भी पढ़ें- शनि शिंगनापुर मंदिर के बाद अब हाजी अली में प्रवेश के लिए मुहिम छेड़ेंगी तृप्ति देसाईक्या है हाजी अली प्रतिबंध मामला
दरअसल, मुंबई के प्रसिद्ध हाजी अली दरगाह की मजार पर 2011 तक महिला के जायरीनों के प्रवेश पर बेरोक-टोक जाने की अनुमति थी। लेकिन उसके बाद महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगा दी गई। जिसके बाद इस प्रतिबंध के खिलाफ भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन की सह-संस्थापक जकिया सोमण और नूरजहां सफ़िया नियाज़ ने मिलकर बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की। जिसमें महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखा। दूसरी तरफ़ हाजी अली ट्रस्ट ने पाबन्दी का समर्थन करते हुए कोर्ट में यह तर्क दिया है कि चूंकि हाजी अली एक पुरुष संत की मजार है इसलिए वहां महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगाई गई है। गौरतलब है कि बाबा हाजी अली शाह बुखारी की दरगाह का निर्माण 1631 में हुआ और यह आस्था के केंद्र के तौर पर दुनिया भर में मशहूर है। इस दरगाह पर सभी धर्मो के लोग अपनी मनोकामना पूरी होने के लिए बाबा से मन्नते मांगते हैं।