नहीं रोके जा सकते आतंकियों के 'सुसाइड अटैक', आने वाले दिनों में और झेलने होंगे
श्रीनगर एयरपोर्ट के पास बीएसएफ कैंप पर हुए आतंकी हमले के बाद एक बार फिर से जवानों की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहे हैं। लेकिन बीएसएफ चीफ का कहना है कि ऐसे हमले रोके नहीं जा सकते।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। श्रीनगर एयरपोर्ट के समीप स्थित सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के कैंप पर मंगलवार सुबह हुए आतंकी हमले के बाद एक बार फिर से जवानों की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहे हैं। बार-बार यह बात रह-रह कर सामने आ रही है कि आखिर आम लोगों की सुरक्षा करने वालों की सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी है। इसके अलावा एक सवाल और है जो बार-बार मन में आता है कि आखिर इस तरह के हमलों के पीछे क्या हमारी नाकामी या सुरक्षा को लेकर हमारा लचीला रवैया है, या इसके पीछे कुछ और कारण हैं।
चौंकाने वाला है बीएसएफ चीफ का बयान
यह सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि बुधवार को ही सीमा सुरक्षाबल के प्रमुख केके शर्मा ने यह बात कहकर सभी को चौंका दिया कि आतंकियों के सुसाइड अटैक को रोका नहीं जा सकता है। उन्होंने यह बात इस हमले में शहीद हुए एएसआई बीके यादव को श्रद्धांजलि देने के बाद कही। यादव बीएसएफ हैडक्वार्टर में घुसे तीन आतंकियों से हुए मुकाबले में शहीद हो गए थे। इस हमले में तीन और जवान भी घायल हुए थे, जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है। मंगलवार तड़के हुए इस हमले में पाकिस्तान समर्थित जैश-ए-मोहम्मद के तीनों आतंकी मार गिराए गए। केके शर्मा ने इस हमले के लिए पाकिस्तान को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि इतने लंबे अर्से के बाद भी हमारे पड़ोसी में कोई सुधार नहीं आया है। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में इस तरह के और हमले हो सकते हैं। इससे पहले कश्मीर के IG मुनीर खान ने भी पाकिस्तान को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जब तक पड़ोसी पाकिस्तान जैसा देश होगा ऐसे हमले होते रहेंगे।
फिदायीन हमलों को रोक पाना नामुमकिनबीएसएफ प्रमुख का दिया गया यह बयान भले ही चौंकाने वाला लगता हो, लेकिन उनके इस बयान के पीछे की वजहों को समझना भी बेहद जरूरी है। इस बारे में Jagran.Com से बात करते हुए रिटायर्ड कर्नल अनिल कौल ने भी माना कि आतंकियों के सुसाइड मिशन को रोक पाना काफी मुश्किल होता है। उनके मुताबिक जब तक किसी सुसाइड मिशन के मार्फत सेना के पास कोई इंटेलिजेंस रिपोर्ट न हो तब तक इन्हें रोकना लगभग नामुमकिन होता है। उन्होंने विशेष बातचीत में कहा कि जम्मू कश्मीर में आर्मी कैंपों में काफी संख्या में मजदूर होते हैं। हालांकि इन कैंपों में बिना पास के किसी को अंदर जाने की इजाजत नहीं दी जाती है। इसके अलावा उनको कई सिक्योरिटी चैकों से भी गुजरना होता है, लेकिन इसके बाद भी जब तक वहां आने वाले व्यक्ति का फुल बॉडी चैकअप नहीं होता है तब तक सुसाइड बंबर का पता नहीं चलता है। यह भी मुमकिन नहीं है कि सभी आने वालों का फुलबॉडी चैकअप किया जा सके। लिहाजा यहां पर ही इंटेलिजेंस रिपोर्ट काम आती है। इस बातचीत में उन्होंने यह भी कहा कि श्रीनगर में हुआ आतंकी हमला सुसाइड मिशन नहीं था। सुसाइड मिशन में आतंकी किसी व्हीकल में आते हैं और उससे हमला करत हैं। या फिर उनके शरीर पर विस्फोटक लगा होता है जिससे वह खुद को उड़ा लेते हैं।
इस बारे में रक्षा विशेषज्ञ कमर आगा ने भी माना कि फिदायीन हमलों को रोकना लगभग नामुमकिन होता है। उन्होंने इसके पीछे की वजहों का जिक्र करते हुए बताया कि इस तरह के हमलों के लिए उन्हें ही चुना भी जाता है जिन्हें यह पता होता है कि उन्हें मरना है। वह इसके लिए तैयार होते हैं। इस तरह के हमलों के पीछे आतंकियों का मकसद ज्यादा से ज्यादा लोगों की हत्या करना होता है। लिहाजा इस तरह के हमले नहीं रोके जा सकते हैं बातचीत के दौरान आगा ने यह भी माना कि श्रीनगर में बीएसएफ कैंप पर हुए हमले के पीछे पाकिस्तान के खराब होते हालात और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उसका अलग-थलग होना भी एक बड़ी वजह है। यूएनजीए में गलत फोटो दिखाने के बाद जिस तरह की फजीहत पाकिस्तान की हुई है, इससे पूरी दुनिया वाकिफ है। उनका साफ कहना था कि पाकिस्तान इस वक्त बुरी तरह से बौखलाया हुआ है। इससे ध्यान भटकाने के लिए ही पाकिस्तान ने इस हमले को अंजाम दिलवाया है।
पहले भी हुए हैं इस तरह के हमले
यह पहला मौका नहीं है कि जब आतंकियों ने सेना के कैंप पर इस तरह के हमले को अंजाम दिया हो। इसी वर्ष मार्च और अगस्त में भी आतंकियों ने इसी तरह के हमले को अंजाम दिया था। वहीं बीते माह की 18 तारीख को ही उड़ी हमले की बरसी भी थी। इस आतंकी हमले में सेना के करीब 17 जवान शहीद हो गए थे।
2016-17 में हुए आतंकी हमले
मार्च 29, 2017: दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में आतंकियों ने पुलिस स्टेशन पर हमला किया। हालांकि इसमें कोई हताहत नहीं हुआ।
29 नवंबर, 2016: जम्मू में नगरोटो बेस्ड 16वीं बटालियन के हैडक्वार्टर पर हुए आतंकी हमले में सात जवानों की मौत हो गई थी।
24 नवंबर 2016: कुपवाड़ा जिले के हंदवाड़ा में आतंकियों ने पुलिस स्टेशन पर हमला किया।
6 अक्टूबर 2016 : राष्ट्रीय राइफल्स के कैंप पर हुए हमले में तीन आतंकी मारे गए।
2 अक्टूबर 2016 : राष्ट्रीय राइफल कैंप पर हुए हमले में दो आतंकी ढेर हुए। इस हमले में एक जवान शहीद और एक जवान घायल हो गया था।
18 सितंबर 2016: बारामुला के उड़ी में हुए हमले में आतंकियों ने 17 जवानों की हत्याएं कर दी थीं। इस फिदायीन हमले में आतंकियों ने एलओसी से लगते कैंप को उड़ा दिया था। इस हमले में चार आतंकी भी मारे गए।
25 जून 2016: श्रीनगर के पंपोर में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले में आठ जवान शहीद और करीब बीस जवान घायल हो गए थे।
21 फरवरी 2016: श्रीनगर की एक सरकारी इमारत में घुसे आतंकियों ने सेना के तीन कमांडो समेत सात जवानों की हत्या कर दी थी। इस हमले में सभी आतंकी भी मारे गए थे।
1 जनवरी 2016: पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले में तीन जवान शहीद हो गए थे। सुरक्षाबलों ने इस हमले में शामिल सभी तीन आतंकियों को मार गिराया था।
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