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आखिर क्यों हो रहा है विधायकों का मोह भंग?

सूबे की सरकार रहेगी या जाएगी, इसका फैसला मंगलवार को समर्थन दे रहे तीन विधायकों के फैसले के साथ ही हो जाएगा। ज्यादा आसार इसी बात के हैं कि अब इस सरकार की विदाई की घड़ी करीब आ गई है। लेकिन सियासी गलियारों में चर्चा हो रही है कि आखिर इन विधायकों का सरकार से इतनी जल्दी मोह क्यों भंग हो गया।

By Edited By: Updated: Mon, 03 Feb 2014 08:31 AM (IST)
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[अजय पांडेय], नई दिल्ली। सूबे की सरकार रहेगी या जाएगी, इसका फैसला मंगलवार को समर्थन दे रहे तीन विधायकों के फैसले के साथ ही हो जाएगा। ज्यादा आसार इसी बात के हैं कि अब इस सरकार की विदाई की घड़ी करीब आ गई है। लेकिन सियासी गलियारों में चर्चा हो रही है कि आखिर इन विधायकों का सरकार से इतनी जल्दी मोह क्यों भंग हो गया।

विनोद कुमार बिन्नी आम आदमी पार्टी (आप) के टिकट पर लक्ष्मी नगर से चुनाव जीते। केजरीवाल के करीबी कहे जाने वाले बिन्नी ने जब मुख्यमंत्री की मुखालफत में आवाज बुलंद की तो उन्हें यह कहकर पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया कि वे पूर्वी दिल्ली से लोकसभा का टिकट मांग रहे थे और पार्टी द्वारा इन्कार कर देने के कारण ही उन्होंने बगावती तेवर अपना लिए। लेकिन सरकार को बाहर से समर्थन देने वाले जनता दल यूनाइटेड के विधायक शोएब इकबाल और निर्दलीय विधायक रामवीर शौकीन के साथ क्या दिक्कत पेश आई।

केजरी के उपेक्षा से आहत थे दोनों

प्रत्यक्ष तौर पर शोएब इकबाल और रामवीर सरकार पर जनता से वादाखिलाफी का आरोप ही लगा रहे हैं, लेकिन सही बात यह है कि ये विधायक मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उपेक्षा से बेहद आहत हो गए थे। जानकार सूत्रों की मानें तो सरकार को समर्थन देने वाले दोनों विधायक ने एक महीने के दौरान कई बार मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी। समझा जा रहा है कि उन्हें उम्मीद थी कि सरकार को समर्थन के बदले कोई न कोई पद मिल जाएगा। मसलन, विधानसभा के उपाध्यक्ष का पद ही दिया जा सकता था। या फिर दिल्ली ग्रामीण विकास बोर्ड का अध्यक्ष ही बनाया जा सकता था। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री की ओर से दोनों विधायकों को बिल्कुल भी भाव नहीं दिया गया।

हाशिये पर हैं पार्टी के विधायक

सूत्रों का कहना है कि केजरीवाल सरकार में उनके और उनके शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया को छोड़कर बाकी मंत्रियों की कुछ नहीं चल रही। पार्टी के विधायक भी हाशिये पर हैं। पार्टी में खुद को किनारे पर महसूस करने वाले ये विधायक खुलकर नहीं बोल पा रहे, क्योंकि वे पार्टी अनुशासन से बंधे हैं।

अन्य भी थाम सकते हैं बागी गुट का हाथ

विनोद कुमार बिन्नी को निकाले जाने के बाद और दो अन्य विधायकों के भी सरकार से समर्थन वापस लेने के संकेतों के मद्देनजर ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि आप के कुछ अन्य विधायक भी बागी गुट का हाथ थाम सकते हैं। महत्वपूर्ण यह भी है कि कांग्रेस विधायक आसिफ मोहम्मद पहले ही कह चुके हैं कि वे सदन में सरकार के खिलाफ मतदान करेंगे, भले ही परिणाम चाहे जो हो।

अल्पमत में कब आएगी सरकार

दिल्ली विधानसभा के आंकड़ों के गणित को देखें तो सूबे की अरविंद केजरीवाल सरकार को रविवार को अल्टीमेटम देने वाले तीनों विधायकों ने यदि अपना समर्थन वापस ले लिया तो सरकार अल्पमत में आ जाएगी।

गौरतलब है कि 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी (आप) के विधायकों की संख्या अब 27 है। कांग्रेस के आठ विधायक इसका समर्थन कर रहे हैं। इनके अलावा जनता दल यूनाइटेड के शोएब इकबाल, निर्दलीय रामवीर शौकीन और आप से निकाले गए विनोद कुमार बिन्नी इस सरकार को समर्थन दे रहे हैं। इस प्रकार सरकार के पक्ष में कुल 38 विधायक हैं। लेकिन अब बिन्नी, शौकीन और शोएब ने सरकार से समर्थन वापसी के संकेत दे दिए हैं।

क्या है आंकड़ों का गणित

यदि तीनों विधायकों ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया तो सरकार के खिलाफ 35 विधायक हो जाएंगे, क्योंकि भाजपा के 32 विधायक हैं। वहीं सरकार के पक्ष में भी 35 विधायक बचेंगे, लेकिन इनमें से एक विधायक मनिंदर सिंह धीर विधानसभा के अध्यक्ष हैं। ऐसे में यदि विधानसभा में मतदान की नौबत आई तो सरकार के पक्ष में 34 और विपक्ष में 35 वोट पड़ेंगे।

विस अध्यक्ष कब कर सकते हैं वोट

विधायी प्रक्रिया के जानकारों का कहना है कि विधानसभा अध्यक्ष तभी मतदान कर सकते हैं, जब दोनों पक्ष के वोट बराबर हो जाएं। लेकिन यहां तो विपक्ष में 35 और पक्ष में 34 मत होंगे और ऐसे में अध्यक्ष मतदान नहीं कर पाएंगे। ऐसे में सरकार एक वोट से गिर जाएगी। यह हालत तो इन तीन विधायकों के समर्थन वापसी से ही पैदा हो जाएगी।

पढ़ें: गंभीर संकट में केजरीवाल सरकार

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