आखिर क्यों पीएम मोदी ने लाल किले से भाषण में लिया बलूचिस्तान का नाम
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पीएम ने बलूचिस्तान का नाम लेकर पाकिस्तान को भड़का कर रख दिया है।
नई दिल्ली, रायटर्स। स्वतंत्रता दिवस के भाषण के लिए जिस वक्त प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शीर्ष सहयोगियों से मुलाकात कर रहे थे उस समय कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने भारत के दुश्मन पाकिस्तान के इस दक्षिण-पश्चिमी अशांत प्रांत बलूचिस्तान का नाम लेने से उन्हें आगाह किया था।
ब्यूरोक्रेट्स ने प्रधानमंत्री को चेताते हुए कहा कहा था कि लाल किला से अपने महत्वपूर्ण संबोधन में बलूचिस्तान का नाम लेने पर पहले से ही कश्मीर के नाम पर तीन लड़ाई झेल चुके दोनों परमाणु संपन्न देशों के बीच और तनाव बढ़ेगा।
वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, अगस्त की शुरूआत में हुई इस बैठक में मौजूद राजनेता कश्मीर में हिंसा भड़काने में पाकिस्तान का हाथ होने के चलते काफी गुस्से में थे और वह बलूचिस्तान का नाम पीएम के भाषण के दौरान लिए जाने के पक्ष में थे। प्रधानमंत्री ने भी उनकी बातों पर अपनी सहमति देते हुए यह साफ कर दिया कि पाकिस्तान के खिलाफ भारत का तेवर और ज्यादा आक्रामक रहेगा।
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सोमवार को तीन दिवसीय दौरे पर नई दिल्ली पहुंच रहे अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी के लिए इन दो पड़ोसी देशों (भारत-पाकिस्तान) के बीच कटुता को दूर कर इन्हें एक साथ लाना उनके एजेंडे में सबसे ऊपर होगा।
बैठक की संवेदनशीला के चलते उस अधिकारी ने अपना नाम ना बताने की शर्त पर बताया कि ब्यूरोक्रेट्स ने यह सलाह दी थी कि बलूचिस्तान के बारे में बात करना अच्छा आइडिया है। लेकिन स्वतंत्रता दिवस के भाषण में पाकिस्तान का नाम लेना यह सही मंच नहीं होगा। रक्षामंत्री मनोहर पर्रीकर ने इस आइडिया को खारिज कर दिया जबकि गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने पर्रीकर के इस आइडिया का समर्थन करते हुए कहा कि पाकिस्तान का मुंह बंद करने के लिए हमें सबकुछ करना चाहिए।
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