Year Ender 2019: वर्ष 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने सुनाए अहम फैसले और दी नई व्यवस्था
सुप्रीम कोर्ट ने इस वर्ष कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए। साथ ही कुछ व्यवस्था भी दीं जो भविष्य के लिए काफी अहम साबित होंगी।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Sun, 08 Dec 2019 11:15 AM (IST)
नई दिल्ली जागरण स्पेशल। वर्ष 2019 सुप्रीम कोर्ट के लिहाज से भी कई मायनों में महत्वपूर्ण रहा है। इस वर्ष कई ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया या नई व्यवस्था दी, जिसने इतिहास रच दिया। कई वर्षों से कानूनी पचड़े में पड़े अयोध्या मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने इसी वर्ष अपना महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। आइये डालते हैं ऐसे ही कुछ मामलों पर नजर:-
मैमोरी कार्ड भी अहम दस्तावेज सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक मामलों में मैमोरी कार्ड को एक अहम दस्तावेज माने जाने की व्यवस्था दी। जस्टिस एएम खानविलकर और दिनेश माहेश्वरी की बेंच ने याैन उत्पीड़न के एक मामले में यह फैसला सुनाया। यह मामला फरवरी 2017 का है। आरोप के मुताबिक कोच्चि में एक कार में केरल की एक अभिनेत्री का यौन उत्पीड़न किया गया था जिसका वीडियाे एक फाेन के मेमोरी कार्ड में है।
प्रदुषण पर तल्ख टिप्पणी दिल्ली में बढ़ते प्रदुषण पर चिंता जताते हुए कोर्ट ने सरकार पर तल्ख टिप्पणी की और कहा कि दमघोंटू हवा में सांस लेने से बेहतर है कि एक बार में विस्फोट से जनता को मार दिया जाए। इस दौरान कोर्ट ने यहां तक कहा कि दिल्ली सरकार को सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है। इस तरह की तल्ख टिप्पणी पहली बार सुप्रीम कोर्ट की तरफ से किसी सरकार के खिलाफ की गई थी।
समझौते के आधार पर खत्म दुष्कर्म मामला सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के फैसले को दरकिनार करते हुए दुष्कर्म के आरोपी को पीड़ित महिला के साथ हुए समझौते के बाद उसपर दुष्कर्म के मामले में चल रही कार्रवाही समाप्त करने का आदेश दिया है। केरल हाईकोर्ट ने इस मामले में मामला बंद करने से इनकार कर दिया था। कोर्ट का कहना था कि सहमति से शारीरिक संबंध बनने के बाद भी यह मामला 376 के तहत ही बनता है। लिहाजा इसको निरस्त नहीं किया जा सकता है। इसके खिलाफ आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसके बाद शिकायतकर्ता लड़की के शपथपत्र और मामले की परिस्थितियों को देखते हुए कोर्ट का मानना है कि अपीलकर्ता के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही खत्म करनी चाहिए।
महाराष्ट्र सरकार को बहुमत साबित करने का आदेश महाराष्ट्र में रातों रात शपथ लेने वाले देवेंद्र फडणवीस सरकार के खिलाफ जब विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो कोर्ट ने उन्हें न सिर्फ विधानसभा में बहुमत साबित करने का आदेश दिया बल्कि उसका लाइव टेलिकास्ट कराने तक का भी आदेश दिया। जस्टिस एन वी रमण, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस संजीव खन्ना की खंडपीठ ने राज्यपाल को अस्थाई अध्यक्ष की नियुक्ति करने का भी आदेश दिया। पीठ का कहना था कि सदन में कोई गुप्त मतदान नहीं होगा।
राफेल पर सरकार को क्लीन चिट राफेल विमान सौदे को लेकर दायर की गई याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ विपक्ष को करारा झटका दिया बल्कि इस सौदे के पूरी तरह से सही होने पर भी अपनी मुहर लगा दी। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में दोबारा किसी तरह की सुनवाई की कोई जरूरत नहीं है।
आरटीआई के दायरे में सीजेआई सुप्रीम कोर्ट ने चीफ जस्टिस का ऑफिस भी आरटीआई के दायरे में रखने का फैसला सुनाते हुए ये साफ कर दिया कि जनता के प्रति उसकी जवाबदेही को नकारा नहीं जा सकता है। हालांकि कोर्ट ने यह भी माना कि आरटीआई के माध्यम से कुछ भी जानकारी नहीं दी जा सकेगी। कोर्ट का कहना था कि आरटीआई दायर करते हुए न्यायपालिका की स्वतंत्रता का ध्यान रखना होगा। इस मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने 10 जनवरी 2010 को दिए अपने फैसले में कहा था कि सीजेाआई का कार्यालय आरटीआई कानून के दायरे में आता है। इसमें कहा गया था कि न्यायिक स्वतंत्रता न्यायाधीश का विशेषाधिकार नहीं है, बल्कि उस पर एक जिम्मेदारी है। कोर्ट ने यह फैसला 3-2 से सुनाया। सीजेआई का कहना था था कि पारदर्शिता के नाम पर एक संस्था को नुकसान नहीं पहुंचाया जाना चाहिए।
अयोग्य लेकिन लड़ सकते हैं चुनाव सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक में सियासी उठापटक के बीच विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष द्वारा 17 विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने के फैसले को सही बताया। कोर्ट ने कहा कि इसके बावजूद वह चुनाव लड़ सकते हैं। कोर्ट ने फैसले में कहा कि इस्तीफे से स्पीकर का अधिकार खत्म नहीं होता है।
चौकीदार चौर है मामला चौकीदार चौर है मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की माफी की अर्जी को मानते हुए उन्हें हिदायत देकर छोड़ दिया। कोर्ट का कहना था कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोगो के प्रति बयान सोच समझकर दें। गौरतलब है कि चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने कई जनसभाओं में सार्वजनिक तौर पर चौकीदार चोर है कहा था, जिसमें सीधेतौर पर पीएम मोदी पर निशाना साधा गया था।
अयोध्या मामला अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए पूरी विवादित जमीन को रामलला विराजमान को सौंप दिया। इसके अलावा साथ ही कोर्ट ने सरकार राज्य सरकार से मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ जमीन देने का भी आदेश दिया। कोर्ट ने अपने आदेश में मंदिर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट बनाने को भी कहा है। इस ट्रस्ट निर्मोही अखाड़े को भी शामिल करने का आदेश कोर्ट की तरफ से दिया गया है। कोर्ट के इस आदेश के साथ ही वर्षों पुराने इस मामले का पटाक्षेप हो गया है।