'आप' के लिए आज अहम दिन, प्रशांत-योगेंद्र हो सकते हैं पार्टी से बाहर
आम आदमी पार्टी (आप) में चल रहा अंदरूनी घमासान शनिवार को अपनी निर्णायक घड़ी में होगा। पार्टी की राष्ट्रीय समिति की बैठक के दौरान अरविंद केजरीवाल गुट अब विद्रोही नेताओं प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से भी हटाने की पूरी तैयारी के साथ आएगा
नई दिल्ली, मुकेश केजरीवाल । आम आदमी पार्टी (आप) में चल रहा अंदरूनी घमासान शनिवार को अपनी निर्णायक घड़ी में होगा। पार्टी की राष्ट्रीय समिति की बैठक के दौरान अरविंद केजरीवाल गुट अब विद्रोही नेताओं प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से भी हटाने की पूरी तैयारी के साथ आएगा। हालांकि हंगामे से बचने के लिए बैठक के संबंध में रखी गई भूषण की मांगे मान ली गई हैं। मांग के मुताबिक इसकी वीडियो रिकार्डिंग करवाई जाएगी और दिल्ली के विधायकों को वोटिंग में शामिल भी नहीं किया जाएगा।
भूषण और यादव के साथ खुले तौर पर विवाद शुरू होने के बाद यह पार्टी की पहली बैठक होगी जिसमें इनके साथ केजरीवाल भी मौजूद रहेंगे। इससे पहले राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में केजरीवाल दिल्ली में रहते हुए भी नहीं पहुंचे थे। इसी तरह बैठक के दौरान अपने बहुमत को लेकर आश्वस्त इस खेमे ने भूषण की कई मांगें मान ली हैं। शुक्रवार को भूषण ने मांग की थी कि इस बैठक के दौरान दिल्ली के विधायकों को वोटिंग का अधिकार नहीं दिया जाए। इसी तरह उन्होंने पार्टी सचिव पंकज गुप्ता को पत्र लिखकर यह भी मांग की थी कि इस बैठक की वीडियो रिकार्डिंग करवाई जाए। पार्टी ने इन दोनों मांगों को मान लिया है। हालांकि बैठक की अध्यक्षता पार्टी के आंतरिक लोकपाल रामदास से करवाने की उनकी मांग नहीं मानी गई है। पार्टी संयोजक के नाते इसकी जिम्मेदारी खुद केजरीवाल संभालेंगे।
अब तय हो गया है कि इस बैठक के दौरान संगठन संबंधी अन्य चर्चाओं के अलावा केजरीवाल खेमे की ओर से भूषण और यादव को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटाए जाने का प्रस्ताव लाया जाएगा। लगभग सवा तीन सौ सदस्यों वाली समिति की बैठक में लगभग तीन सौ सदस्यों के मौजूद रहने की उम्मीद है। उधर, भूषण गुट का कहना है कि वे बैठक के दौरान किसी भी स्थिति के लिए तैयार हैं। अगर ऐसा प्रस्ताव आया तो भी वे हार नहीं मानेंगे। साथ ही इस बात पर जोर देंगे कि इस प्रस्ताव पर गुप्त मतदान करवा कर फैसला किया जाए।
लोकपाल खुद अवैधानिक
आम आदमी पार्टी के संविधान के मुताबिक इसके आंतरिक लोकपाल रामदास का कार्यकाल खत्म हो चुका है। इसी तरह इसकी दूसरी लोकपाल इलीना सेन ने इस्तीफा तो नहीं दिया है, लेकिन पद संभालने के बाद से वे अपनी जिम्मेदारियों को लेकर पूरी तरह निष्क्रिय रही हैं। शुक्रवार को प्रशांत भूषण ने न सिर्फ सारी जांच लोकपाल को सौंपने की मांग की, बल्कि शनिवार की राष्ट्रीय समिति की बैठक की अध्यक्षता भी उन्हीं से करवाने की मांग की। लेकिन पार्टी का संविधान कहता है कि उन्हें एक साल के बाद इस पद पर दोबारा निर्वाचित होना चाहिए था और यह समय सीमा काफी समय पहले बीत चुकी है। इस बारे में पूछे जाने पर भूषण ने कहा, 'उनके पद को लेकर कोई विवाद नहीं है।'
पढ़ें : भूषण का केजरी पर हमला,बताया तानाशाह
केजरीवाल का स्टिंग: प्रशांत भूषण व योगेंद्र यादव के लिए कहे अपशब्द