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आंध्र में शून्य अंक पर भी इंजीनियरिंग में दाखिला

हैदराबाद। उत्तर भारत के इंजीनियरिंग और तकनीकी संस्थानों में जहां सीटों को लेकर मारामारी है, वहीं आंध्र प्रदेश में शून्य अंक पाने वाले छात्रों को भी इंजीनियरिंग और कृषि पाठ्यक्रमों में दाखिला मिल रहा है। इस साल संयुक्त प्रवेश परीक्षा में शून्य पाने वाले 7

By Edited By: Published: Sat, 07 Jul 2012 06:22 PM (IST)Updated: Sat, 07 Jul 2012 07:18 PM (IST)

हैदराबाद। उत्तर भारत के इंजीनियरिंग और तकनीकी संस्थानों में जहां सीटों को लेकर मारामारी है, वहीं आंध्र प्रदेश में शून्य अंक पाने वाले छात्रों को भी इंजीनियरिंग और कृषि पाठ्यक्रमों में दाखिला मिल रहा है। इस साल संयुक्त प्रवेश परीक्षा में शून्य पाने वाले 78 में 22 छात्रों को दाखिला मिलेगा। ये सभी छात्र एससी-एसटी कोटे से हैं।

राज्य के शिक्षा अधिकारियों के मुताबिक इंजीनियरिंग, एग्रीकल्चर एंड मेडिकल कॉमन इंट्रेस टेस्ट [ईएएमसीईटी] में बैठे इन छात्रों को प्रवेश मिलेगा, क्योंकि शून्य पाने के बावजूद 12वीं कक्षा में इन्होंने 40 ्रफीसद से ज्यादा अंक पाए हैं। इनमें से नौ छात्र इंजीनियरिंग, 13 छात्र एमबीबीएस के अलावा अन्य किसी कोर्स में दाखिला ले सकते हैं। 2008 तक ऐसे छात्र एमबीबीएस में भी चयनित हो जाते थे। उसके बाद मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया ने कड़े मानक तय कर दिए। आंध्र में देश में सर्वाधिक 671 इंजीनियरिंग कॉलेज हैं। इस साल इंजीनियरिंग परीक्षा में बैठे 2,83,477 छात्रों में 2,23,886 यानी 79 फीसदी कामयाब हुए। इनमें से करीब 24,000 छात्र 12वीं परीक्षा में पास नहीं हो पाए, लिहाजा उन्हें प्रवेश नहीं मिल सका। तमाम वजहों से 2012-13 में इंजीनियरिंग की करीब एक लाख सीटें खाली रह जाएंगी। राज्य में कुल 3,21,000 इंजीनियरिंग सीटें हैं। कई छात्रों के आइआइटी या बाहरी राज्यों के संस्थानों में दाखिला लेने से यह आंकड़ा और बढ़ने की संभावना है। 2010 तक तो 12वीं पास करने वाले हर छात्र को इंजीनियरिंग में दाखिला मिल जाता था। पिछले साल सामान्य वर्ग के लिए 12वीं में 50 फीसद और आरक्षित छात्र के लिए 40 फीसद प्राप्तांक अनिवार्य कर दिए गए।

राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के चांसलर और राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन ऐसी स्थिति से खुश नहीं है। उनका कहना है कि प्रवेश के लिए न्यूनतम प्राप्तांक तय होने चाहिए। शून्य अंक पाने वाले छात्र इंजीनियरिंग में क्या सीख पाएंगे? पिछले साल भी शून्य पाने वाले 73 में 17 छात्रों को इंजीनियरिंग में दाखिला मिला था।

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