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देश के अनोखे बैंक

बैंक से तो सभी परिचित हैं लेकिन देश के कुछ बैंक ऐसे भी हैं जिन्हें निर्धन लोगों के कल्याण के लिये खोला गया है।

By Babita kashyapEdited By: Updated: Sat, 02 Jan 2016 01:12 PM (IST)
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बैंक के बारे में तो हम सभी जानते ही हैं शायद ही कोई ऐसा शख्स होगा जिसका बैंक में खाता न हो लेकिन आज हम आपको देश के कुछ ऐसे अनोखे बैंकों के बारे में बता रहे हैं जिनका एक मात्र उद्देश्य गरीबों की मदद करना है। इन बैंकों से गरीबी तो नही मिटायी जा सकती लेकिन इंसान की मूल आवश्यकताओं की कुछ हद तक तो पूर्ति की ही जा सकती है।

रोटी बैंक

जहां नोट नही रोटियां गिनी जाती हैं। इस बैंक का नाम 'रोटी बैंक' है। इसके जरिए गरीब, बेसहारा, अनाथ और लाचार लोगों की रोटियां देकर भूख मिटाई जाती है।

उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में देश के पहले अनोखे रोटी बैंक की शुरुआत करने वाले हरुन मुक्ति इस्लामिक सेंटर (एचआईएमसी) के फाउंडर युसूफ मुक्ति जब गरीब लोगों को सड़क पर भीख मांगते देखते थे तो उन्हें बहुत दुख होता था, उन्होंने सोचा कि क्यों न कुछ ऐसा किय जाये जिससे गरीबों को दो वक्त की रोटी आसानी से मिल जाये।

तब उन्होंने एक रोटी बैंक खोलने की योजना के बारे में अपनी पत्नी और चार बहनों से बात की।

शुरुआत में यहां केवल 10 घरों से ही रोटी मिलती थी लेकिन अब इस बैंक से करीब 400 घर जुड़ चुके हैं।

मेंबर बनने की हैं कुछ शर्र्तें

कोई भी इस बैंक का मेंबर बन सकता है लेकिन उसके भी कुछ नियम और शर्र्तें हैं जैसे- रोटी बैंक का मेंबर बनने के लिए आपको एक साधारण सा फार्म भरना होगा। इसके बाद आपको एक डिपोजिटर कोड दिया जाएगा। शर्र्तों के अनुसार मेंबर को प्रतिदिन दो ताजी रोटी और घर में बनी सब्जी का कुछ हिस्सा रोज रोटी बैंक में डिपोजित करना होगा।

रोटी देने की टाइमिंग

यह बैंक सुबह 11 बजे से रात 11 बजे तक खुले रहते हैं इस दौरान यहां खाना देने वाले और खाना लेने वाले दोनों तरह के लोग आते हैं। बैंक डिपोजिटर्स को स्पेशल कैरी बैग दिये गये हैं जिसपर एक विशेष कोड लिखा होता है जिससे खाने की ताजगी को चेक किया जा सके। इसके अलावा कुछ युवाभी घर-घर जाकर रोटियां इकट्ठी करने का काम करते हैं। युवाओं कि यह टोलियां घर-घर जाकर रोटी बैंक की आवाज लगाते हैं वैसे ही लोग अपने घर से दो-दो रोटी लाकर जमा कर देते हैं। उसके बाद ये युवा रोटियों को 'रोटी बैंकÓ में जमा करवा देते हैं।

होटल और रेस्टोरेंट से भी आता है खाना

शादी व पार्टियों में बचा खाना भी यहां आता है। यही नही कई होटल और रेस्टोरेंट भी इस रोटी बैंक से जुड़ गये हैं। जो अपना बचा हुआ खाना नियमित रूप से यहां डिपोजिट करवाते हैं।

अनाज बैंक

वाराणसी के हकुलगंज स्थित वरुणानगरम कॉलोनी में एक अनोखा अनाज बैंक खोला गया है। इस बैंक का मकसद उन लोगों की मदद करना है जिन्हें दो वक्त की रोटी भी नसीब नही होती। यहां खाता खोलने वाले धारक गरीबों, विधवाओं, बुजुर्गो और जरूरतमंदों के लिए अनाज जमा करवाते हैं।

कोई भी शख्स 5 किलोग्राम अनाज देकर यहां खाता खुलवा सकता है। यहां खाता, फॉर्म, एकाउंट, पासबुक और जमा खाता का पूरा विवरण मिलता है। इस बैंक में 1 से 10 किलो अनाज जमा करने वाले को ब्याज के रूप में संतोष मिलेगा। 11 से 20 किलो अनाज जमा करने वाले

को दुआ मिलेगी और 21 किलो से ज्यादा अनाज देने पर त्याग मिलेगा। वहीं, कार्यक्रमों में खाताधारकों को प्रोत्साहन पत्र भी दिया जाएगा।

यह बैंक यहां की बेटियों द्वारा ही चलाया जा रहा है।

दवाई बैंक

सिटी ऑफ जॉय कहलाने वाले कोलकाता की एक सच्चाई यह भी है कि यहां बड़ी संख्या झुग्गी बस्ती में रहने वाले गरीब और बदहाल लोग भी रहते हैं। इन गरीब लोगों के पास बीमार पडऩे पर इलाज के पैसे भी नही होते हैं।

इन्हीं गरीब और बदहाल लोगों के इलाज के लिए यहां अनोखा 'दवाई बैंकÓ खोला गया है।

अक्सर यहां के लोग दवाईयों और इलाज के अभाव में मर जाते हैं और कई लोग ऐसे हैं जिन के पास इलाज के बाद बची दवाएं बेकार पड़ी रहती हैं। ऐसे में इस बैंक से जुड़े लोग घर-घर जाकर इन दवाओं को इकट्ठा करते हैं।

इस तरह आम लोगों, डॉक्टरों और मेडिकल रिप्रेसेनटेटिव्स के जरिये प्रतिवर्ष हजारों रुपये की दवाईयां इक_ïी की जाती हैं।

इसके अलावा लोगों नेघर में पड़े पुराने चश्में, बैसाखी, गर्म पट्टियां, वॉकर भी दान किये हैं। एक बार तो एक परिवार ने पेसमेकर दान किया और तुरंत ही एक अस्पताल के जरिए यह एक मरीज के लगा भी दिया गया। इसी प्रकार ये सारी दवाईयां भी पहले एक्सपायरी डेट देखकर छांटी जाती है, उसके बाद डिस्पेंसरी के जरिये जरूरतमंदों को बांट दी जाती है।

आइडिया बैंक

यहां पैसे नही जमा होते हैं तो बस आपके आइडिया। जी हां, अब सरकार आइडियाज जमा करने वाले बैंक खोलने जा रही है।

देश की इकॉनमी के विकास के लिए अगर आपके पास कोई सुझाव है तो आप अपने आइडियाज इस बैंक में जमा करवा सकते हैं, पसंद आने पर सरकार आपके सुझावों पर अमल भी करेगी। इस बैंक का नाम होगा डिटेल प्रॉजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर)।

इस बैंक में सरकार की तरफ से शुरू किए जाने वाले प्रॉजेक्ट, प्लानिंग और पॉलिसीज का ब्योरा दिया जाएगा और लोगों से इस बारे में नए आइडियाज पूछे जाएंगे कि इसके अलावा और क्या किया जा सकता है।

जब कोई प्रॉजेक्ट पर अंतिम फैसला होगा तो उसमें इस बात का भी जिक्र होगा कि इसमें लोगों के कितने नए आइडियाज शामिल किए गए। इस बैंक से लोगों को सरकार से सीधे जुडऩे का मौका मिलेगा और साथ ही सरकारी कामों में पारदर्शिता आएगी। ऐसे बैंक चीन, सिंगापुर और हॉन्गकॉन्ग जैसे देशों में भी उपलब्ध है।

भिखारियों का बैंक

बिहार के गया शहर में भिखारियों के एक समूह ने अपना एक बैंक खोल लिया है, जिसे स्वयं भिखारी ही चलाते हैं और उसका प्रबंधन करते हैं, ताकि संकट के समय उन्हें वित्तीय सुरक्षा मिल सके।

गया शहर के मां मंगलागौरी मंदिर के द्वार पर आने वाले श्रद्धालुओं की भिक्षा पर आश्रित रहने वाले दर्जनों भिखारियों ने इस बैंक की शुरुआत की है। इस बैंक का नाम मंगला बैंक रखा गया है।

इस बैंक में हर मंगलवार को भिखारी 20 रुपये जमा करवाते हैं। यह बैंक आपात स्थिति में भिखारियों को कर्ज मुहैया करवाता है और धन वापसी के लिये कर्ज पर 2 से 5 प्रतिशत का ब्याज चुकाना भी अनिवार्य है।

कपड़ों का बैंक

झारखंड के जमशेदपुर में एक बैंक ऐसा है जिसका पैसों से कोई लेना देना नही है। यहां जरूरतमंदों के लिए कपड़े इकट्ठे किये जाते हैं।

ये बैंक लाखों गरीब और जरूरतमंद गरीब लोगों को कपड़े मुहैया करवाता है। कपड़ों के इस बैंक को 'गूंज' नाम दिया गया है।

माना कि हम अपने देश से गरीबी नही मिटा सकते लेकिन इन छोटी-छोटी कोशिशों से गरीबों की मदद कर उन्हें कुछ राहत तो प्रदान कर ही सकते हैं।

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