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लड़की को ब्याहने दोबारा आई उसी दूल्हे की बारात

एक कन्या को ब्याहने के लिए दूल्हे को दो बार बारात लेकर आना पड़ा।

By Gunateet OjhaEdited By: Updated: Mon, 10 Oct 2016 02:14 PM (IST)
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महासमुंद, जेएनएन। एक कन्या को ब्याहने के लिए दूल्हे को दो बार बारात लेकर आना पड़ा। पांच महीने पहले जब पहली बार बाजे-गाजे के साथ धूमधाम से बारात आई थी, उस समय कन्या के नाबालिग होने के चलते प्रशासन ने शादी रुकवा दी थी। तब कन्या के घर कोहराम मच गया था। बालिग होने के बाद 6 अक्टूबर को एक बार फिर बारात आई और हंसी-खुशी के माहौल में जयमाला और शादी की शेष रस्मों को पूरा कर कन्या को विदा किया गया।

बिरकोनी निवासी साहू परिवार की बेटी की शादी सोनासिल्ली राजिम निवासी युवक के साथ बीते 24 अप्रैल को होने जा रही थी। लड़की के नाबालिग होने की सूचना पर बारात पहुंचने से कुछ घंटे पहले ही महिला बाल विकास विभाग और पुलिस की संयुक्त टीम कन्या के घर पहुंची और शादी रुकवा दी गई।

जिले में नाबालिग की शादी रोकने का यह पहला मामला था। हालांकि उस समय लड़की की मां को मनाने में अफसरों का पसीना छूट गया था। आखिरकार दोनों पक्ष ने कानून का सम्मान करते हुए बालिग होने के बाद ही शादी करने का फैसला किया।

प्रशासन ने लड़की पक्ष की चिंता का समाधान करते हुए इकरारनामा लिखाया, जिसमें बालिग होने के बाद लड़की की शादी उसी लडके से कराए जाने की बात लिखी गई थी।

अज्ञानतावश मजदूर परिवार पर आई इस मुश्किल घड़ी को महसूस करते हुए अफसरों ने शादी के लिए विभाग की ओर से सहायता का वादा भी किया था। प्रशासनिक रिकार्ड के अनुसार गत 19 सितंबर को लड़की बालिग हो गई। इसकी सूचना विभाग को दी गई। लिहाजा बीते 6 अक्टूबर को फिर बारात पहुंची और सादगी के साथ विवाह संपन्न हुआ।

पांच महीने पहले सिंदूर, मंगलसूत्र व जयमाला की रस्म नहीं हो पाई थी, उन्हें पूरा किया गया और बेटी की विदाई की गई। इस विवाह में दोनों पक्ष के करीबी रिश्तेदारों व सामाजिकजनों के अलावा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शामिल हुए। वहीं महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों की ओर से व्यक्तिगत तौर से पांच हजार रुपए उपहार स्वरूप बेटी को प्रदान किया गया। साथ ही विभाग की ओर से हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया।

कम उम्र में ब्याह कानूनन अपराध

कानून के अनुसार विवाह के लिए लड़की की उम्र 18 और लड़के की उम्र 21 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए। कम उम्र में शादी यानी बाल विवाह कानूनन अपराध है। बाल विवाह कराने वाले माता-पिता, विवाह में शामिल रिश्तेदारों, बाराती और विवाह कराने वाले पंडित पर भी कार्रवाई का प्रावधान है। लड़की की शादी 18 वर्ष से कम की उम्र में कराई जाती है तो बाल विवाह निवारण अधिनियम के तहत 3 माह का कारावास अथवा एक हजार रुपए जुर्माना अथवा दोनों हो सकता है। यदि 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के की शादी कराई जाती है तो अधिनियम की धारा 3 के तहत 15 दिन कारावास अथवा एक हजार रुपए जुर्माना अथवा दोनों हो सकता है। अधिनियम की धारा 5,6 के अनुसार ऐसी शादी में योगदान करने वाले माता-पिता, रिश्तेदार, बाराती और पंडित को भी सजा का प्रावधान है।

भुक्तभोगी मां-बाप अब कर रहे लोगों को सजग

कम पढ़े-लिखे साहू परिवार को इन कानूनों को जानकारी नहीं थी, लेकिन कानून के चलते 5 महीना पहले नाबालिग कन्या का विवाह रोका गया, घर पर आई बारात बिना दुल्हन के वापस लौट गई थी। तब परिवार को बहुत पीड़ा हुई थी, हालांकि प्रशासन, वर पक्ष और गांव के लोगों ने परिस्थितियों को समझा। अब बिटिया का विवाह हो गया है, बिटिया के माता-पिता अब समाज व गांव के परिचित लोगों कानून की जानकारी दे रहे हैं साथ ही बिटिया का विवाह बालिग होने पर ही करने की बात समझा रहे हैं।

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