आपको पता नहीं होगा लेकिन रीढ़ की हड्डी में होता है छोटा दिमाग !
नाना पाटेकर को तो हम सभी जानते ही हैं उनकी फिल्म में डायलॉग था जिसमें वो परेश रावल से कहते हैं कि यहां मत मार यहां छोटा दिमाग होता है लेकिन ये सच नहीं है हमारा दिमाग यहां होता है
मशहूर फिल्म अभिनेता नाना पाटेकर का डायलॉग तो याद होगा सर के पीछे मत मार यहां छोटा दिमाग होता है। अब कोई ऐसा बोले तो तुरंत उससे बोल देना बेवकूफ छोटा दिमाग यहां नहीं रीढ़ की हड्डी में होता है। इसमें हैरान होने वाली कोई बात नहीं है। अमेरिका के शोधकर्ताओं ने हाल ही में मनुष्यों की रीढ़ की हड्डी में स्थित एक छोटे मस्तिष्क का पता लगाया है। इसे ही शोधकर्ताओं ने मनुष्यों का छोटा दिमाग माना है।
1. छोटा दिमाग का काम
रीढ़ की हड्डी में स्थित छोटा दिमाग हमारी कई प्रकार के कामों में मदद करता है। छोटा दिमाग हमें भीड़ में रहने या भीड़ के बीच से गुजरते वक्त या कड़ाके की सर्दी में या बर्फीली सतह से गुजरते वक्त संतुलन बनाने में मदद करता है। ये हमें फिसलन वाली जगह में फिसलने या गिरने से भी बचाता है।
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इस तरह के कार्य अचेतन अवस्था में होते हैं। हमारी रीढ़ की हड्डी में मौजूद तंत्रिका कोशिकाओं के समूह संवेदी सूचनाओं को इकट्ठा कर मांसपेशियों के आवश्यक समायोजन में मदद करते हैं।
2. ‘साल्क’ ने की शोध
कैलिफोर्निया में स्वतंत्र तौर पर स्थित वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान ‘साल्क’ के जीवविज्ञानी मार्टिन गोल्डिंग ने यह शोध की है। गोल्डिंग की टीम ने यह शोध चुहों पर किया है, जिसे ‘सेल’ पत्रिका में प्रकाशित किया गया। गोल्डिंग की टीम ने शोध करने के दौरान आनुवांशिक रूप से परिवर्धित चूहे की रीढ़ की हड्डी में आरओआरआई न्यूरॉन को निष्क्रिय कर दिया।
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जिसके बाद उन्होंने देखा कि चूहे की गति पहले की तुलना में कम संवेदनशील हो गई। मार्टिन गोल्डिंग के मुताबिक “हमारे खड़े होने या चलने के दौरान पैर के तलवों के संवेदी अंग इस छोटे दिमाग को दबाव और गति से जुड़ी सूचनाएं भेजते हैं।” उनके मुताबिक “इस अध्ययन के जरिए हमें हमारे शरीर में मौजूद ‘ब्लैक बॉक्स’ के बारे में पता चला। हमें आज तक नहीं पता था कि ये संकेत किस तरह से हमारी रीढ़ की हड्डी में इनकोड और संचालित होते हैं।
3. पैरों से पहुंचते हैं संकेत
हर एक मिलीसेकेंड पर सभी प्रकार की सूचनाएं मस्तिष्क में प्रवाहित होती रहती हैं। अपने अध्ययन में साल्क वैज्ञानिकों ने इस संवेदी मोटर नियंत्रण प्रणाली के विवरण से पर्दा हटाया है। अत्याधुनिक छवि प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से इन्होंने तंत्रिका फाइबर का पता लगाया है, जो पैर में लगे संवेदकों की मदद से रीढ़ की हड्डी तक संकेतों को ले जाते हैं।
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गोल्डिंग की टीम ने पता लगाया है कि सभी प्रकार के संवेदक फाइबर आरओआरआई न्यूरॉन्स नाम के तंत्रिकाओं के अन्य समूहों के साथ रीढ़ की हड्डी में मौजूद होते हैं। इसके बदले आरओआरआई न्यूरॉन मस्तिष्क के मोटर क्षेत्र में मौजूद न्यूरॉन से जुड़े होते हैं, जो मस्तिष्क और पैरों के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध हो सकते हैं।
शोधकर्ता स्टीव बॉरेन ने कहा, “हमें लगता है कि ये न्यूरॉन सभी सूचनाओं को एकत्र कर पैर को चलने के लिए निर्देश देते हैं।” यह शोध तंत्रिकीय विषय और चाल के नियंत्रण की निहित प्रक्रियाओं व आसपास के परिवेश का पता लगाने के लिए शरीर के संवेदकों पर विस्तृत विचार पेश करती है।
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