कस्तूरी हिरण के बारे में शायद सुना हो आपने, कहते हैं इस हिरण की नाभि से एक ऐसी खुशबू निकलती है जो सबको उसकी ओर खींच ले जाती है। शायद कभी वह आपके पास रहे तो आपके डियो और परफ्यूम का खर्च बच जाए।
By Edited By: Updated: Sat, 05 Jul 2014 10:59 AM (IST)
कस्तूरी हिरण के बारे में शायद सुना हो आपने, कहते हैं इस हिरण की नाभि से एक ऐसी खुशबू निकलती है जो सबको उसकी ओर खींच ले जाती है। शायद कभी वह आपके पास रहे तो आपके डियो और परफ्यूम का खर्च बच जाए। उस हिरण को आजतक किसी ने देखा तो नहीं लेकिन सोचिए अगर वह हिरण किसी लड़की के रूप में आपके घर आ जाए तो..? और..और..वह कस्तूरी लड़की खुशबू की बजाय बदबू देती हो..तो? शायद आप संशय में हों कि कस्तूरी हिरण लड़की के रूप में कैसे बदल सकता है और अगर बदल भी जाए तो उसकी खुशबू बदबू में कैसे बदल सकती है। कस्तूरी हिरण का हमें भी नहीं पता लेकिन जिस लड़की के बारे में हम आगे बताने जा रहे हैं उसे जानकर आप जरूर हैरत में पड़ जाएंगे.क्या ऐसा भी होता है! पर दुनिया में कुछ भी संभव है..ऐसा भी हो सकता है!
22 साल की कैसी ग्रेव्स पेशे से गायिका हैं और लंदन में रहती हैं। खूबसूरत हैं, दिलकश अंदाज है, आवाज भी अच्छी है, दिमाग से भी सही सलामत हैं लेकिन कोई फिर भी उनके पास नहीं आता, यहां तक कि उनकी बहन भी नहीं। आप पूछेंगे क्यों? जवाब कस्तूरी हिरण की कहानी में ही छुपा है।
दरअसल ग्रेव्स के शरीर से एक अजीब सी गंध आती है जो कोई भी बर्दाश्त नहीं कर पाता। आप सोचेंगे कि गंध तो हर किसी शरीर में होती है तो इसमें नया क्या है? नया है, और वह यह कि ग्रेव्स की गंध उसके पसीने की नहीं है बल्कि उसके शरीर से हमेशा निकलने वाली मछली की गंध है। यह गंध इतनी ज्यादा होती है कि भले ही वह तुरंत नहाकर ही क्यों न आए लेकिन उसके शरीर से मछली की यह बदबू आती रहती है। यह बदबू इतनी ज्यादा होती है कि डियोड्रेंट या परफ्यूम से भी कोई फर्क नहीं पड़ता। वह जिस कमरे में होती है उसमें मछली की बदबू आने लगती है। इस कारण बचपन में ग्रेव्स की मां ने उसे स्कूल भी नहीं भेजा क्योंकि वह नहीं चाहती थीं कि बच्चे ग्रेव्स का मजाक उड़ाएं और वह अवसाद में जाए। पर ग्रेव्स के शरीर में ऐसा क्या है? क्या वह जलपरी है? नहीं, ऐसा कुछ भी नहीं है. ग्रेव्स को ट्राइमिथाइलमिनुरिया (टीएमएयू) नाम की बीमारी है जो फिश ओडर सिंड्रोम के नाम से भी जानी जाती है। यह एक रेयर प्रकार का चपापचय विकार है जिसके कारण शरीर खाने के माध्यम से शरीर में पहुंचने वाली ट्राइमिथाइलमाइन को तोड़ नहीं पाती है और शरीर से मछली की गंध आती है।
इस बीमारी का एकमात्र इलाज है कि खाने की कुछ चीजों जिनमें टीएमएयू होते हैं, खाने में परहेज किया जाए। फिश, एग योक, दलहन, रेड मीट, मछली, बींस जैसी चीजों में टीएमएयू होता है और इस कारण फिश ऑर्डर सिंड्रोम से पीडि़त लोगों को इन चीजों से परहेज करना पड़ता है।