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पत्नियों से परेशान पतियों ने बनाई कमेटी

महिलाओं पर होने वाले अत्याचार की खबरें तो रोज ही पढऩे और सुनने को मिलती है। लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि रांची की अदालत में 400 से भी अधिक ऐसे मामले चल रहे हैं जहां पुरुष पत्नियों की प्रताडऩा झेल रहे हैं।

By Babita kashyapEdited By: Updated: Tue, 15 Mar 2016 11:29 AM (IST)
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महिलाओं पर होने वाले अत्याचार की खबरें तो रोज ही पढऩे और सुनने को मिलती है। लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि रांची की अदालत में 400 से भी अधिक ऐसे मामले चल रहे हैं जहां पुरुष पत्नियों की प्रताडऩा झेल रहे हैं।

यहां पत्नियों की प्रताडऩा के शिकार हुए पतियों ने सेव इंडियन फैमिली परित्राणा नाम का एक संगठन भी बनाया है। इस संगठन में वह सभी मिलकर इस समस्या से कैसे छुटकारा पाने की तरीकों पर विचार-विमर्श करते हैं।

इन लोगों में हर जाति और धर्म के साथ ही प्रोफेशनल्स, डॉक्टर, इंजीनियर, एडवोकेट, सरकारी कर्मचारी और बिजनेसमैन तक शामिल है।

इन सभी लोगों को बस यही दुख है कि उनकी पत्नियों ने कानून का गलत उपयोग कर उनके ऊपर दहेज उत्पीडऩ का झूठा केस लगाया। साथ ही उनके माता-पिता और दूसरे परिजनों का जीना मुश्किल कर दिया है।

दरअसल महिला इंडियन पैनल कोड में महिला उत्पीडऩ को रोकने के लिए भारतीय संसद ने 1983 में एक कानून बनाया था। कानून के सेक्शन 498(ए) के तहत किसी भी विवाहित महिला के पति और उसके रिश्तेदारों को दहेज का मामला दर्ज कराती है तो उनको कम से कम तीन साल की जेल हो सकती है। सजा के अलावा आर्थिक दंड अलग से।

इस मामले में सरकारी कर्मचारी प्रहलाद प्रसाद का कहना है कि इस कानून की आड़ में महिलाएं सिर्फ पति पर ही नहीं बल्कि उनके परिजनों खासकर मां-बाप, भाई, बहन, भाभी पर भी आरोप लगा देती हैं। जिनका कोई कसूर नहीं होता है।

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