अगर पत्नी से करते हैं प्यार तो इस जगह पर ना जाना यार!
ऊपर वाली लाइन पढ़कर आप चौंक जरूर सकते हैं लेकिन कुछ बातें होती हैं जो हो जाती हैं उन्हीं बातों में से एक बात ये भी है पढ़ें।
अगर आप अपनी पत्नी से बेहद प्यार करते हैं तो इस जगह पर मत जाना, हां अगर अपनी पत्नी से मुक्ति पाना चाहते हैं तो बेशक जाइए। वैेसे तो गंगा तट पर बसा बनारस शहर काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के कारण दुनिया भर में प्रसिद्ध है। इसके अलावा बनारस के महत्व को बढ़ाता है गंगा घाट।
वाराणसी (काशी) में गंगा तट पर अनेक सुंदर घाट बने हैं, ये सभी घाट किसी न किसी पौराणिक या धार्मिक कथा से संबंधित हैं। वैसे तो वाराणसी में गंगा तट पर आपको करीब 84 घाट मिल जाएंगे। और हर एक की अपनी एक अलग कहानी और मान्यता है लेकिन आज हम इस खास घाट के बारे में बात करेंगे।
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इन्हीं 84 घाटों में से एक घाट ऐसा है जहां शादीशुदा लोग स्नान नहीं करते क्योंकि यहां स्नान करना उन्हें भारी पड़ सकता है या कहें कि इस घाट पर नहाना अपने लिए मुसीबत बुलाना है। वाराणसी के इस घाट को बनवाया था ‘दत्तात्रेय स्वामी’ ने। यह घाट परम विष्णु भक्त नारद मुनि के नाम से यानी नारद घाट के नाम से जाना जाता है।
सुनी सुनाई बात बताते हैं… इस घाट के विषय में मान्यता है कि यहां जो भी शादीशुदा जोड़े आकर स्नान करते हैं उनके बीच मतभेद बढ़ जाता है। उनके पारिवारिक जीवन में आपसी तालमेल की कमी हो जाती है और अलगाव हो जाता है।
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आपको बताते चलें कि नारद घाट से पहले इसे ‘कुवाईघाट’ के नाम से जाना जाता था। उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य में घाट पर नारदेश्वर (शिव) मंदिर का निर्माण किया गया।
इसके बाद से इस घाट का नाम नारद घाट पड़ गया। मान्यता है कि नारदेश्वर शिव की स्थापना देवर्षि नारद ने की थी, इसलिए इसे नारद घाट के नाम से भी जाना जाता है… लो भई अब पत्नी से है छुटकारा पाना तो यहां ज़रूर डुबकी लगाना।
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