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ऐसा त्योहार और कहीं नहीं, यहां शवों को कब्र से निकालकर सजाया जाता है

अपनों से प्रेम भला कौन नहीं करता। हालांकि ये प्रेम अपनों के मर जाने के कुछ ही समय बाद हवा हो जाता है। अपनों के मरने के बाद या तो हम शव को जला देते हैं या फिर दफना देते हैं, या फिर कहीं-कहीं कुछ आैर तरह के रीति रिवाज भी हैं।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Updated: Tue, 13 Sep 2016 02:32 PM (IST)
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अपनों से प्रेम भला कौन नहीं करता। हालांकि ये प्रेम अपनों के मर जाने के कुछ ही समय बाद हवा हो जाता है। अपनों के मरने के बाद या तो हम शव को जला देते हैं या फिर दफना देते हैं, या फिर कहीं-कहीं कुछ आैर तरह के रीति रिवाज भी हैं। बस इसके बाद हम अपनी ही दुनिया में मस्त हाे जाते हैं आैर अपने मृत परिजनों को भूल जाते हैं। तो वहीं इंडोनेशिया में कुछ लोग दुनिया के दूसरे लोगों से बेहद अलग है।

ये लोग अपने परिजनों के दफनाए शवों को फिर से निकालते हैं। वे इन शवों को सजाते हैं आैर उन्हें अच्छे कपड़े पहनाकर तैयार करते हैं। बाकायदा इसके लिए एक फेस्टिवल मनाया जाता है। इसका नाम है मा'नेने फेस्टिवल। ये एक तरह से लाशों की सफार्इ का त्योहार है। सुलावेसी द्वीप के लोग अपने परिजनों को जमीन से निकालते हैं आैर उनके साथ घर में ये त्योहार सेलिब्रेट करते हैं।

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दूसरे त्योहारों की तरह ही इस त्योहार में भी घरों में कर्इ तरह के पकवान बनते हैं। हालांकि लोग इन पकवानों का भोग लाशों को लगाते हैं। यहां तक की लोग लाशों के साथ फोटो भी खिंचवाते हैं। बताया जाता है कि लाशों को सजाने का ये त्योहार करीब सौ सालों से मनाया जा रहा है।

स्थानीय लोगों की मान्यता है कि मृत्यु आखिरी नहीं होती है। मरने वाले का भी आध्यात्मिक जीवन चलता रहता है। शव को खराब होने से बचाने के लिए भी ये लोग कर्इ तरह के उपाय करते हैं। जहां स्थानीय लोगों के लिए ये श्रद्घा आैर विश्वास का मामला है, वहीं दुनिया के दूसरे हिस्सों में इंडोनेशिया की ये परंपरा लोगों के कौतुहल का कारण बनी हुर्इ है।

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