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ये पुरुष ही गंजे क्यों होते हैं, महिलाएं क्यों नहीं...

आपने कभी इस बात पर गौर किया है कि महिलाओं की अपेक्षा पुरुष गंजे होते हैं आपने कभी किसी गंजी महिला को देखा है, शायद नहीं और अगर देखा भी होगा तो न के बराबर, लेकिन ये पुरुष ही गंजे...

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Updated: Tue, 06 Sep 2016 02:50 PM (IST)
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दुनियाभर के सारे जीवों में सिर्फ मनुष्य ही ऐसा है जो गंजेपन का शिकार होता है। मनुष्यों में भी ऐसा सिर्फ पुरुषों के साथ होता है। यह भी कहा जाता है कि बालों के झड़ने में तनाव एक बड़ी भूमिका निभाता है और पत्नियां तनाव पैदा करने में।

अगर गंजेपन का मजाकिया विश्लेषण किया जाए तो इसका इकलौता कारण पत्नियां समझी जा सकती हैं। हालांकि इस बात को ज्यादा गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है क्योंकि गंजापन समाजविज्ञान या मनोविज्ञान के बजाय जीवविज्ञान के विश्लेषण का विषय है।

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पोषण की कमी या तनाव के चलते महिलाओं में भी सिर के बाल झड़ने की समस्या हो सकती है। उम्र के असर के चलते महिलाओं के साथ यह हो सकता है कि उनके सिर पर बाल कम हो जाएं या अपेक्षाकृत पतले हो जाएं। फिर भी इस बात की बेहद कम संभावना होती है कि वे पूरी तरह चिकने सिर नजर आएंगी।

पुरुषों का जिक्र आने पर मामला उल्टा हो जाता है। एक उम्र के बाद न सिर्फ पुरुषों के बाल कम होने शुरू हो जाते हैं बल्कि पचास का आंकड़ा पार करते-करते सिर पर 'चांद' दिखाई देना शुरू हो जाता है और कई लोगों के तो 30 की उम्र में ही चांद नजर आने लगता है।

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शरीर पर बालों का उगना भी हार्मोनल बदलावों के कारण होता है और शरीर से बालों के चले जाने की वजह भी हार्मोंस में बदलाव होती है। गंजेपन पर रिसर्च कर रहे नॉर्वे की बर्गेन यूनिवर्सिटी के जीवविज्ञानी पेर जैकबसन इसके लिए टेस्टोस्टेरॉन नाम के यौन हॉर्मोन को जिम्मेदार ठहराते हैं। ये पुरुषों में स्रावित होने वाले एंड्रोजन समूह का स्टेरॉयड हार्मोन है।

शरीर पर बालों का उगना भी हार्मोनल बदलावों के कारण होता है और शरीर से बालों के चले जाने की वजह भी हार्मोंस में बदलाव होता है।

मनुष्य शरीर में कुछ एंजाइम ऐसे होते हैं जो टेस्टोस्टेरॉन को डिहाइड्रोटेस्टोस्टेरॉन में बदल देते हैं। डिहाइड्रोटेस्टोस्टेरॉन बालों को पतला और कमजोर करने के लिए उत्तरदायी होता है। आमतौर पर हार्मोंस में यह बदलाव करने वाले एंजाइम मनुष्य को जींस में मिले होते हैं। यही कारण है कि गंजापन अकसर अानुवांशिक होता है।

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पुरुषों की तुलना में महिलाओं में टेस्टोस्टेरॉन का स्राव नाममात्र का होता है। साथ ही महिलाओं में टेस्टोस्टेरॉन के साथ-साथ एस्ट्रोजन नाम के हार्मोन का भी स्राव होता है। इसलिए महिलाओं के शरीर में टेस्टोस्टेरॉन के डिहाइड्रोटेस्टोस्टेरोन बदलने की प्रक्रिया भी कम होती है। कभी-कभी गर्भावस्था या मीनोपॉज के दौरान यह प्रक्रिया तेज हो जाती है। इस दौरान महिलाओं के भी बाल झड़ने शुरू हो जाते हैं।

दुर्भाग्यवश कुछ लोग बहुत कम उम्र में गंजेपन का शिकार हो जाते हैं। ऐसा उन्हें विरासत में मिले एंजाइम और उनकी त्वचा के अलग प्रकार का होने के कारण होता है। कुछ लोगों के सिर की त्वचा भी इन एंजाइम्स की बढ़त के लिए संग्राहक का काम करती है। ऐसे लोगों में गंजापन समय से पहले आ जाता है।

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