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एक ऐसी जगह जहां गौमूत्र से लोग नहाते हैं और दहेज में दी जाती है गाय

अपने शरीर को भीषण गर्मी से होने वाले स्किन इन्फेकशन से बचाने के लिए ये लोग गौमूत्र से नहाते हैं।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Updated: Sat, 21 May 2016 05:27 PM (IST)

हमारी दुनिया अजीबोगरीब लोगों और रिवाजों से भरी हुई है। इनमें सबसे खास तबका होता है, जनजातियों का। संसार में सबसे ज्यादा जनजातियां अफ्रीका में पाई जाती हैं। आज हम आपको दिखाते हैं अफ्रीकी देश साउथ सूडान की एक जनजाति, जिनके लिए गाय और बैल स्टेटस सिम्बल होता है।

यह ट्राइब नील नदी के किनारे पाई जाती है, जिसका नाम ‘मुदांरी’ है। ये इलाका पूरी दुनिया से एकदम कटा हुआ है। यहां के लोगों की जीवनरेखा पशुओं पर टिकी हुई है. जिनमें गाय और बैल सबसे खास हैं।

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इनके रहन-सहन के तरीके भी बहुत दिलचस्प हैं। अपने विषम भौगोलिक पर्यावरण से तालमेल बैठाने के लिए इन्होंने कई अजीब तरकीबें इजाद कर रखी हैं। अपने शरीर को भीषण गर्मी से होने वाले स्किन इन्फेकशन से बचाने के लिए ये लोग गौमूत्र से नहाते हैं।

मच्छरों से बचने का तो इन्होंने और भी दिलचस्प तरीका निकाला है, इसके लिए ये लोग गोबर से बने कंडे की राख़ को शरीर पर लगाते हैं। यहां के लोगों के लिए जीवन का सबसे अहम हिस्सा इनकी गायें है। गाय ही यहां रोजगार का ज़रिया होती हैं। यहां तक कि शादी-ब्याह में दहेज़ के रूप में भी गाय को ही दिया जाता है।

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इसी वजह से आपसी लड़ाईयां भी गायों को लेकर ही होती है। गाय इतनी महत्वपूर्ण होती है कि लोग रात को अपनी-अपनी गायों के साथ ही सोते हैं। कुछ लोग तो बंदूकों से गाय की रखवाली भी करते हैं। गाय की चोरी की वजह से होने वाली लड़ाईयों में यहां अब तक 2500 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं।

वैसे आपको बता दें, ये गायें आम गायों जैसी नहीं होती हैं। इन्हें ‘कैटल ऑफ किंग’ कहा जाता है। इनके सींग 8 फीट तक लम्बे हो सकते हैं। एक गाय की कीमत लगभग 35,000 के आस-पास होती है। अगर ये कहा जाए कि गाय ही इनकी लाइफलाइन है, तो कुछ गलत नहीं होगा।

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