अब इसे आस्था ही कहेंगे...यहां है 'कुतिया देवी' का मंदिर, हर दिन होती है पूजा
भारत देश आस्था का कितना बड़ा केंद्र है ये बताने की जरूरत नहीं है क्योंकि यहां आस्था किसी में भी हो सकती है अब इस कुतिया देवी मंदिर के बारे में ही देख लो...लोग पूजा करते हैं।
हिंदू धर्म में यूं तो 33 करोड़ देवी-देवताओं का जिक्र मिलता है। लेकिन झांसी के एक गांव में जिस देवी की पूजा की जाती है उनका नाम आपने यकीनन नहीं सुना होगा। झांसी के तहसील मऊरानीपुर में कुतिया महारानी मां का मंदिर है। मंदिर में नियम से पूजा-पाठ भी होता है। इस मंदिर के पुजारी हैं किशोरी लाल यादव।
किशोरी लाल बताते हैं, देवी में हमारी आस्था तो पहले से थी, मंदिर बन जाने के बाद से पूजा-पाठ भी नियमित हो गया है। उन्होंने कुतिया देवी की कहानी भी सुनाई। किशोरी लाल के मुताबिक कुतिया देवी के बारे में एक कहानी प्रचलित है कि वो मऊरानीपुर तहसील के दो गांवों रेवन और ककवारा के बीच रहती थीं। एक बार ककवारा व रेवन दोनों गांवों में कार्यक्रम था। दोनों जगह पंगत होनी थी। कुतिया को भी दोनों जगह जाना था। मगर वह उस दिन कुछ बीमार थी।
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ककवारा का रमतूला जैसे ही बजा, वह ककवारा की ओर दौड़ने लगी। जब तक वह ककवारा पहुंची, वहां पंगत खत्म हो चुकी थी। वह थक कर चूर हो गई। उसने सोचा कुछ आराम कर लूं। वह वहीं लेट गई। इसी दौरान रेवन गांव का रमतूला बजने लगा। कुतिया ने सोचा कि यदि देर हो गई तो रेवन की पंगत भी नहीं मिलेगी और उसे भूखा ही रहना पड़ेगा। यह सोचकर वह रेवन की ओर दौड़ गई। जब तक वह रेवन पहुंची, वहां की भी पंगत खत्म हो गई।
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दोनों ओर से खाना न मिलने और बीमारी की वजह से वह हताश होकर वापस चल पड़ी और रेवन व ककवारा के बीच एक स्थान पर सड़क किनारे गिरकर बेहोश हो गई और कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई।
जहां कुतिया देवी की मौत हुई उस स्थल पर उनकी समाधी बनाई गई। अब वहां कुतिया देवी का मंदिर है जहां नियम से पूजा-पाठ होती है। वरिष्ठ साहित्यकार ज्ञान चतुर्वेदी कई बार अपने किस्सों में कुतिया देवी का जिक्र कर चुके हैं।
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