घंटे के बजते ही जुट जाता है पूरा गांव क्योंकि...
एक गांव है जहां पर लोग घंटे की आवाज सुनकर ही इकट्ठे हो जाते हैं ये परंपरा सालों साल से चली आ रही है इसके पीछे राज क्या इसके लिए आपको ये खबर पढ़नी पढ़ेगी।
हमारे समाज से जुड़े कई मजेदार तथ्य समय-समय पर उजागर होते रहते हैं। एक दौर था जब राजा-महाराजा अपने संदेश को जनता तक पहुंचाने के लिए संदेश वाहकों के जरिए गांव-गांव जाकर नगाड़ा, ढोल या ढपली बजाकर लोगों को इकट्ठा करते थे और उन्हें राजा के संदेश से अवगत करवाते थे।
अक्सर आपने पुरानी फिल्मों में देखा होगा कि मंदिर का घंटा बजते ही पूरा गांव एक स्थान पर इकट्ठा हो जाता है। लगान फिल्म में भी ऐसा ही दृश्य देखने को मिलता है। भीलवाड़ा के बागौर में आज भी ये परंपरा पुराने समय से चली आ रही है।
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जानिए क्या है ये परंपरा…
ऐसा कहा जाता है कि इस क्षेत्र में यह परंपरा लंबे समय से चली आ रही है, जिससे गांव वाले भली-भांति परिचित हैं।जब भी इस गांव पर मुसीबत या फिर कोई बड़ी बात होती है तो गांव के लोगों को एकत्रित करने के लिए इसी घंटे को बजाया जाता है।
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इतना ही नहीं, इस घंटे की गूंज कानों में पड़ते ही लोग अपने काम को छोड़कर मंदिर के पास एकत्रित हो जाते हैं और गांव के वरिष्ठ लोग उन्हें घटना और आने वाली विपत्ति के बारे में आगाह करते हैं। किसी पंचायत की तरह गांव के युवा और बुजुर्ग मिलकर समस्या का निदान करने की पूरी कोशिश करते हैं।
16 जुलाई वो दिन था, जब गांव के लोगों को ठीक इसी तरह से एकत्रित किया गया। मतलब, मंदिर का घंटा बजाकर। दरअसल, सोमवार को गांव में एक लाश मिली थी, जिस संबंध में पुलिस लीपापोती करती नजर आ रही थी। ऐसे में मंदिर का घंटा बजाकर गांव वालों को इकट्ठा किया गया और पुलिस की लापरवाही पर नजर रखने के साथ मौत की सच्चाई को सामने लाने की योजना बनाई गई।
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