सात साल का बेटा बना पिता के लिए मसीहा
माता-पिता तो अपनी संतान को प्यार-दुलार से पालते ही हैं। लेकिन संस्कारी संतान उसे ही माना जाता है जो खुद भी माता-पिता की सेवा करती है। जी हां, चीन में रहने वाला सात साल का ओ यांगलिंग भी अपने लकवाग्रस्त पिता की सेवा उसी शिद्दत से करता है।
By Babita kashyapEdited By: Updated: Thu, 05 Nov 2015 01:36 PM (IST)
माता-पिता तो अपनी संतान को प्यार-दुलार से पालते ही हैं। लेकिन संस्कारी संतान उसे ही माना जाता है जो खुद भी माता-पिता की सेवा करती है।
जी हां, चीन में रहने वाला सात साल का ओ यांगलिंग भी अपने लकवाग्रस्त पिता की सेवा उसी शिद्दत से करता है। सन् 2013 में यांगलिंग के पिता तोंगमिंग का बिल्डिंग से गिर जाने के कारण निचला धड़ लकवाग्रस्त हो गया था। जिसकी वजह से उसकी पत्नी उसे और उसके बच्चे को छोड़कर चली गयी थी। उसके बाद से ही यह बच्चा अपने पिता का एकमात्र सहारा है।
यांगलिग घर के सारे छोटे-बड़े काम खुद ही संभालता है वह रोज सुबह 6 बजे उठकर अपने पिता को खाना खिलाता है दवा देता है और फिर स्कूल निकल जाता है, स्कूल से आने के बाद फिर यांगलिंग अपने पिता को खाना खिलाता है और बाजार से जरूरत का सामान लाता है। यांगलिंग ने मीडिया को बताया की उसके पास अपने पिता की दवा खरीदने तक के भी पैसे नही है। यांगलिंग ने कहा की वे अपने पिता के बगैर नहीं रह सकता और वह बस इसी इंतजार में है कि जल्दी से बड़ा होकर कुछ पैसे कमाना शुरु कर दे। लेकिन इस बच्चे की यह कहानी जैसे ही आग की तरह फैली बच्चे को चैरिटी द्वारा थोड़ी-थोड़ी आर्थिक मदद मिलने लगी।