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'ट्रेन टू द क्लाउड': जब ये ट्रेन बादलों को चीरती हुई निकलती है...

आपने सपने में तो एक ऐसी रेलगाड़ी जरूर देखी होगी जो बादलों को चीरते हुए निकल रही हो लेकिन हकीकत में कहा जाए कि आपने ऐसी रेलगाड़ी देखी है तो आपका जवाब ना ही होगा, तो हकीकत में करें इस रेलगाड़ी के दर्शन।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Updated: Sat, 17 Sep 2016 02:08 PM (IST)
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ट्रेन से हम सभी ने सफर किया है, अगर नहीं किया है तो इसे छुक-छुक करते तो सभी ने देखा ही होगा। आपने ये भी देखा और सुना ही होगा कि रेल किसी बड़े पुल, बड़े से ब्रिज या किसी टनल से होकर गुजरती है लेकिन क्या जानते हैं कि एक ट्रन बादलों को चीरते हुए उसके बीच से होकर गुजरती है।

अरे भई ये मजाक नहीं बिल्कुल सच है और इसे सच साबित करने वाला ये नजारा आपको अर्जेंटीना में देखने को मिल सकता है। जहां पर गुजरने वाली ट्रेन बादलों के बीच से होकर गुजरती है। अर्जेंटीना में समुद्र तल से चार हजार मीटर की ऊंचाई पर एंडीज पर्वत श्रृंखला से घिरी हुई एक जगह है जहां से ट्रेन होकर गुजरती है।

चारों ओर बादलों से ढका होने के कारण लोग इस ट्रेन को ‘ट्रेन टू द क्लाउड’ के नाम से जानते हैं। यह दुनिया की सबसे ऊंचे रेल रूटों में से एक है।

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जब यह ट्रेन ऊंची ऊंची पहाड़ियों से गुजरती है तो उस समय देखकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे यह बादलों को चीरते हुए आगे की ओर बढ़ रही है। दरअसल होता ये है कि जब रेलवे लाइन के दोनों ओर भारी बादल होते हैं तो ये बादल ट्रेन को पूरी तरह से ढक लेते है। जिससे देखरकर ऐसा लगता है कि ट्रेन बादलों के बीच में से होकर चल रही हो।

इस रेलमार्ग का निर्माण 1920 में अमेरिका के इंजीनियर रिचर्ड फोन्टेन मरे के द्वारा किया गया था। इसकी शुरुआत अर्जेंटीना की सिटी ऑफ साल्टा से की गई थी। यह ट्रेन 16 घंटे में 217 कि.मी. का सफर तय करती है। यह ट्रेन ऊंची-ऊंची पहाड़ियों से होकर गुजरते हुए करीब 3000 मीटर का सफर तय करती है। जिसमें वो 29 पुल और 21 टनल को क्रॉस करते हुए आगे की ओर बढ़ती है।

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