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आप भी जानें इस अंधविश्वास के अंधेरे का सच, लॉजिक के साथ

हमारे देश में अंधविश्वास की कमी नहीं है...इसके नाम पर जानवरों की बलि चढ़ा दी जाती है...दरवाजे पर नींबू मिर्ची लटकाए जाते हैं...अगर अंधविश्वासी हैं तो इस खबर को मत पढ़ना।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Updated: Thu, 04 Aug 2016 01:49 PM (IST)
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सवाल कई है जिसके जवाब ढूंढ़ने का प्रयास कम ही लोग करते हैं और जो नहीं करते हैं वे किसी भी विश्वास को अंधभक्त बनकर माने चले जाते हैं और कोई भी यह हिम्मत नहीं करता है कि ये मान्यताएं या परंपराएं तोड़ दी जाएं या इनके खिलाफ कोई कदम उठाए जाएं।बचपन से लेकर अब तक ना जाने ऐसी कितनी चीजें हैं जिसे हम अब तक फॉलो करते हैं। जैसे नदी में सिक्के फेंकना आपने नहीं फेंके होंगे तो देखा जरूर होगा लोगों को नदी में सिक्के फेंकते हुए, घर या दुकान के दरवाजे पर नींबू मिर्ची लटकाना। आपने ऐसी चीजें अपनी जिंदगी में देखी जरूर होंगी। आपको आपके जानने वालों ने इसके बारे में बताया भी होगा। लेकिन आपने इसको दूसरे नजरिए से समझने की कोशिश नहीं की होगी बस जो बताया गया वही सच नहीं होता।

मगर आपने इन अंधविश्वास के पीछे छिपे लॉजिक को नहीं जाना होगा तो इसीलिए हम लेकर आए हैं ऐसे ही अंधविश्वास की एक लिस्ट जिनके पीछे छिपे लॉजिक को जानना आपके लिए जरूरी है जिससे कि आगे कोई भ्रमित ना हो।

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श्मशान घाट से आकर नहाने की प्रथा

अंधविश्वास- इसके पीछे अंधविश्वास ये है कि जो व्यक्ति भगवान को प्यारा हो गया है उसकी आत्मा को शांति मिले।

लॉजिक- दरअसल पहले के समय में हेपेटाइटिस और चिकन पॉक्स जैसी बीमारियों के लिए वेक्सीनेशन नहीं था इसलिए अंतिम संस्कार करके घर वापस आने पर नहाया जाता था। जिससे कि शव के कीटाणु हमारे शरीर को नुकसान ना पहुंचाएं।

तालाब में सिक्के फेंकना

अंधविश्वास- इसको लेकर कई तरह के अंधविश्वास है लेकिन कुछ लोग ये भी कहते हैं कि इससे भाग्य मजबूत होता है।

लॉजिक- पहले के जमाने में सिक्के तांबे के हुआ करते थे और हम सभी जानते हैं कि तांबा पानी के अंदर के वैक्टीरिया खत्म करने की क्षमता रखता है। साथ ही साथ तांबा सेहत को फायदा पहुंचाने वाली धातु है। इसलिए तांबे के सिक्के नदी में फेंके जाते थे। लेकिन अंधविश्वास के चलते लोग आज भी सिक्के पानी में फेंकते हैं।

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कहीं जाने से पहले दही खाना

अंधविश्वास- भाग्य साथ देगा।

लॉजिक- दरअसल पहले लोग कई मीलों तक पैदल चला करते थे और गरमी के मौसम में दही खाने से पेट ठंडा रहता है इसके साथ ही दही के साथ अगर चीनी मिला के खाई जाए तो ये ग्लूकोज को काम करता है। इसलिए लोग घर से निकलने से पहले दही और चीनी का इस्तेमाल करते थे जिससे कि उन्हें रास्ते में कोई समस्या ना हो। आज के समय में लोग कितना ही पैदल चलते हैं।

मंगलवार और गुरुवार को बाल ना धोना

अंधविश्वास- बुरा वक्त शुरू हो जाता है।

लॉजिक- पुराने समय में मंगलवार और गुरुवार को बाल न धोना पानी बचाने का एक तरीका माना जाता था, क्योंकि उस समय पानी काफी दूर-दराज के क्षेत्रों से लाना पड़ता था। इसके अलावा उस समय महिलाएं लंबे बाल रखती थी, जिसमें ज्यादा पानी लगता था।

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दरवाजे पर नींबू मिर्ची लटकाना

अंधविश्वास- नहीं लगेगी बुरी नजर।
लॉजिक- नींबू-मिर्ची में मौजूद साइट्रिक एसिड घर के अंदर कीड़े मकोड़ों को आने से रोकते हैं। इससे घर में रहने वाली फैमिली को हेल्थ संबंधी कोई प्रॉब्लम नहीं होती।

मंदिर में घंटी बजाना
अंधविश्वास-घंटी बजाने से भगवान खुश होते हैं।
लॉजिक- घंटी को बजाने के बाद जो वाइब्रेशन होता है वह हमारे बॉडी पर असर डालता है। इससे हमें ध्यान लगाने में मदद मिलती है और पॉजीटिव एनर्जी बढ़ती है।

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