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यहां पति के जिंदा रहने पर भी विधवा हो जाती हैं महिलायें

देश-दुनिया के रिवाजों में कुछ ऐसे अनोखे रिवाज भी होते हैं जिनके बारे में सुनकर लोग दंग रह जाते हैं। भारतीय महिलायें पति की लंबी उम्र के लिए करवाचौथ का व्रत रखती हैं। वहीं उत्तर प्रदेश के देवरिया, गोरखपुर, कुशीनगर तथा बिहार के कुछ हिस्सों में

By Babita kashyapEdited By: Updated: Mon, 19 Oct 2015 10:19 AM (IST)
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देश-दुनिया के रिवाजों में कुछ ऐसे अनोखे रिवाज भी होते हैं जिनके बारे में सुनकर लोग दंग रह जाते हैं। भारतीय महिलायें पति की लंबी उम्र के लिए करवाचौथ का व्रत रखती हैं।

वहीं उत्तर प्रदेश के देवरिया, गोरखपुर, कुशीनगर तथा बिहार के कुछ हिस्सों में एक अनोखी परंपरा भी है। यहां गछवाहा समुदाय की स्त्रियां विधवा का जीवन व्यतीत करके पति की लंबी उम्र की सलामती मांगती हैं। यहां पति के जिंदा रहते हुए भी महिलाएं तीन महीने तक विधवाओं की तरह रहती हैं। वह अपने पति की लंबी उम्र की दुआ मांगती हैं।

इस समुदाय के लोग ताड के पेडों से ताडी निकालने का काम करते हैं। 50 फीट से भी ज्यादा ऊंचे पेडों पर चढ़कर ताडी निकालना बहुत जोखिम भरा होता है। ताडी निकालने का काम चैत्र मास से सावन तक चार महीने किया जाता है। गछवाह महिलाएं इन चार महीनों में न तो अपनी मांग में सिंदूर भरती हैं और न ही शृंगार करती हैं। वह अपने सुहाग की सभी निशानियां देवी के पास रखकर अपने पति की सलामती की दुआ मांगती हैं। तरकुलहा गछवाहों की प्रमुख देवी मानी जाती हैं तथा उनका मंदिर गछवाहों का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। ताडी का काम खत्म होने के बाद सभी गछवाह महिलाएं नागपंचमी के दिन तरकुलहा देवी के मंदिर में एकत्रित होती हैं तथा पूजा करने के बाद अपनी मांग भरती हैं। गछवाहों में यह परम्परा कब से चली आ रही है इसकी कोई पुख्ता जानकारी नहीं है। गछवाहों का कहना है कि वह इस परम्परा के बारे में अपने पूर्वजों से सुनते आ रहे हैं। वैसे हिन्दू धर्म में किसी महिला द्वारा अपने सुहाग चिन्ह को छोडऩा अपशगुन माना जाता है।

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