आपको पता नहीं होगा लेकिन तीन बार बिक चुका है ताजमहल!
आपको सुनने में अजीब जरूर लग रहा होगा लेकिन घटना सच्ची है। आप सोच रहे होंगे कि ताजमहल तो राष्ट्रीय धरोहर है उसे कोई कैसे बेच सकता है लेकिन आपकी जानकारी के लिए ये खबर बहुत जरूरी है।
प्यार की निशानी के रूप में प्रसिद्ध ताजमहल का निर्माण मुगल शासक शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज की याद में करवाया था। ताजमहल भारत की शान है जिसे देखने दुनियाभर से सैलानी आगरा पहुंचते हैं। ताज का इतिहास, ताज की कहानी, यह कितने सालों में बना यह तो हम सभी जानते हैं लेकिन एक ऐसी बात भी है जिसे बहुत कम लोग ही जानते हैं।
और वो बात ये है कि ताजमहल तीन बार बिक चुका है। ये कोई मजाक नहीं है सच्ची घटना है। एक शख्स ऐसा था जिसने ताजमहल को तीन बार बेच दिया था।
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बिहार के सीवान में रहने वाले मिथिलेश श्रीवास्तव ने ताजमहल को तीन बार बेच दिया था। यही नहीं इस शख्स ने लाल किला, राष्ट्रपति भवन और यहां तक कि संसद भवन को को भी बेच दिया था।
ये और कोई नहीं बल्कि मशहूर ठग नटवरलाल था। दरअसल नटवरलाल का असली नाम मिथिलेश श्रीवास्तव था। नटवरलाल पर ठगी के 100 से अधिक मामले पुलिस ने दर्ज किए। ये आरोप कितने गंभीर थे इस बात का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि भारत देश के 8 राज्यों की पुलिस उसके पीछे पड़ी रही।
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सत्तर, अस्सी और नब्बे के दशकों में एक के बाद एक कई ठगी की घटनाओं को अन्जाम देकर नटवरलाल भारत का कुख्यात ठग बन गया। वह अपने जीवनकाल में 9 बार गिरफ्तार हुआ, लेकिन प्रत्येक बार किसी न किसी तरह पुलिस की चंगुल से भाग निकला। अंतिम बार जब वह पुलिस की पकड़ से भागा, तब उसकी आयु 84 साल थी।
24 जून 1996 को उसे कानपुर जेल से एम्स (AIIMS) अस्पताल लाया जा रहा था। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पुलिस टीम को चकमा देकर वह भाग निकला। इस घटना के बाद उसे फिर कभी देखा नहीं जा सका।
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