राष्ट्रमंडल खेलों में जिन स्पर्धाओं में विश्व स्तरीय प्रदर्शन देखने को मिलता है, एथलेटिक्स उनमें से एक है। जिसमें छह ओलंपिक और आठ विश्व चैंपियनशिप स्वर्ण जीतने वाले उसैन बोल्ट, दोहरे ओलंपिक चैंपियन मो फराह, केन्या के लंबी दूरी के स्टार धावक डेविड रूदिशा और दो बार की ओलंपिक चैंपियन शैली एन फ्रेजर प्राइस सरीखे एथलीट भाग ले
By Edited By: Updated: Tue, 22 Jul 2014 11:18 AM (IST)
नई दिल्ली। राष्ट्रमंडल खेलों में जिन स्पर्धाओं में विश्व स्तरीय प्रदर्शन देखने को मिलता है, एथलेटिक्स उनमें से एक है। जिसमें छह ओलंपिक और आठ विश्व चैंपियनशिप स्वर्ण जीतने वाले उसैन बोल्ट, दोहरे ओलंपिक चैंपियन मो फराह, केन्या के लंबी दूरी के स्टार धावक डेविड रूदिशा और दो बार की ओलंपिक चैंपियन शैली एन फ्रेजर प्राइस सरीखे एथलीट भाग ले रहे हों उसमें पदक जीतने के लिए मुकाबला कितना कड़ा होगा, इसका अनुमान लगाना कठिन नहीं है। यही वजह है कि भारत राष्ट्रमंडल खेलों के बजाय एशियाई खेलों में ज्यादा पदक जीतता है। 2010 राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय एथलीटों ने घरेलू मैदान और अपने दर्शकों की मौजूदगी में ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए 12 पदक जीते थे। इस बार भाग लेने वाले 32 सदस्यीय दल (15 पुरुष, 17 महिला) पर पिछला प्रदर्शन दोहराने का दबाव होगा। ग्लास्गो में सबकी निगाहें विकास गौड़ा, मयूखा जॉनी, अरपिंदर सिंह, कृष्णा पूनिया और चार गुणा 400 मीटर महिला रिले टीम पर होंगी।
विकास गौड़ा (डिस्कस थ्रो): मैसूर में जन्मे और अमेरिका के फ्रेडरिक मेरीलैंड में पलेबढ़े विकास ने 2010 दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों में रजत और उसी साल एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता था। विकास का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 66.90 मीटर है, जो उन्होंने 2013 में किया था। इस साल मई में दोहा (कतर) में आइएएएफ डायमंड लीग में वह रजत पदक जीतने में सफल रहे थे। लंदन ओलंपिक में आठवें स्थान पर रहने वाले गौड़ा से ग्लोस्गो में इतिहास रचने की उम्मीद की जा रही है। क्योंकि मौजूदा टीम में वही एकमात्र विश्व स्तरीय खिलाड़ी हैं। कृष्णा पूनिया (डिस्कस थ्रो):
चार साल पहले दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों में कृष्णा ने स्वर्ण पदक जीतकर बड़ा धमाका किया था। उन्होंने 58 साल बाद इस प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतकर राष्ट्रधुन बजवायी तो समूचा देश गौरवांवित हो गया। कृष्णा यह कमाल करने वाली पहली महिला एथलीट थीं। उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 64.76 मीटर है, लेकिन वह काफी दिनों से इसके आस-पास भी नहीं हैं। लेकिन विदेशों में लगातार अभ्यास और उनके अनुभव को देखते हुए पदक की उम्मीद को खारिज नहीं किया जा सकता। मयूखा जॉनी (लंबी कूद):
मयूखा इन खेलों के लिए क्वालीफाई करने वाली भारत की पहली एथलीट थीं और उनको पदक की बड़ी उम्मीद माना जा रहा है। लंबी कूद और तिहरी कूद की राष्ट्रीय रिकॉर्डधारी केरल की इस एथलीट को इस स्पर्धा की रानी कही जाने वाली अंजू बॉबी जॉर्ज की उत्तराधिकारी माना जाता है। उनके पास मौका है कि वह दुनिया को ंिदखा दें की उनको अगला अंजू यूं ही नहीं कहा जाता है। अरपिंदर सिंह (तिहरी कूद): अरपिंदर ने लगातार अपने प्रदर्शन में सुधार करते हुए तिहरी कूद में पदक की उम्मीद जताई है। उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 17.17 मीटर है। इससे न केवल उन्होंने ग्लास्गो के लिए अपनी दावेदारी पेश की, बल्कि राष्ट्रीय रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज कराकर उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंच पर कुछ कर दिखाने का मादं्दा दिखाया। इन पर भी होगा दारोमदार: ओमप्रकाश करहाना (शॉटपुट), रवींद्र सिंह खेड़ा (जेवलिन थ्रो), कमलप्रीत सिंह (हैमर थ्रो), शाहना कुमार (ऊंची कूद), सीमा अंतिल (डिस्कस थ्रो) और महिलाओं की चार गुणा चार सौ मीटर रिले टीम अब तक कुल पदक: 3 स्वर्ण, 8 रजत, 11 कांस्य 2010 दिल्ली राष्ट्रमंडल खेल 2 स्वर्ण, 3 रजत, 7 कांस्य