विश्वविद्यालयों में होगी गुरुकुल की वापसी
शैलेन्द्र सिंह, नई दिल्ली उच्च शिक्षण संस्थानों में विद्यार्थियों के मन में घर कर रहे तनाव, चिंता,
By Edited By: Updated: Thu, 07 May 2015 01:32 AM (IST)
शैलेन्द्र सिंह, नई दिल्ली
उच्च शिक्षण संस्थानों में विद्यार्थियों के मन में घर कर रहे तनाव, चिंता, गृह विरह और उम्दा अकादमिक प्रदर्शन के दबाव के चलते आत्महत्या की प्रवृत्ति पर काबू पाने की कोशिश शुरू हो गई है। वह दिन दूर नहीं जब विश्वविद्यालयों के छात्रों पर पुरातन गुरुकुल व्यवस्था की तर्ज पर शिक्षक की नजर रहेगी। कक्षा से बाहर विद्यार्थी की शैक्षणिक -गैर शैक्षणिक समस्याओं के निदान के लिए एक शिक्षक मार्गदर्शक के रूप में उपलब्ध होगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की इस योजना के अंतर्गत सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों को उच्चतर शैक्षिक संस्थानों के परिसरों में तथा दूरस्थ परिसरों में छात्रों की सुरक्षा संबंधी दिशा-निर्देश दिए गए हैं। इस योजना के अंतर्गत पच्चीस विद्यार्थियों के एक दल की जिम्मेदारी एक शिक्षक को दी जाएगी। शिक्षक छात्रों की चिंता, असफलता, गृह विरह तथा अकादमिक चिंताओं से उबारेंगे। यूजीसी की ओर से विश्वविद्यालय व उच्च शिक्षण संस्थानों में लागू की जा रही इस व्यवस्था के तहत छात्रों को उपलब्ध कराए जाने वाले शिक्षक परामर्शदाता को संरक्षक के तौर पर भी सक्रिय बने रहने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। शिक्षक न सिर्फ विद्यार्थियों की हरसंभव मदद के लिए तत्पर रहेगा, बल्कि अभिभावकों से भी विद्यार्थियों से जुडे़ विभिन्न विषयों पर चर्चा करेगा। विश्वविद्यालय स्तर पर इस व्यवस्था की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि बेहतर प्रदर्शन के दबाव व अन्य समस्याओं के चलते बीते कुछ वर्षो में विद्यार्थियों द्वारा आत्महत्या करने की घटनाएं तेजी से सामने आई हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) की ही बात करें तो पिछले साल पीएचडी के एक छात्र ने नौकरी न मिलने के दबाव में छात्रावास में आत्महत्या कर ली थी। गत माह श्री गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज की बीटेक की छात्रा ने पढ़ाई के दबाव के चलते कॉलेज भवन से छलांग लगा आत्महत्या की कोशिश की थी।
बदलते वक्त की मांग है गुरुकुल व्यवस्था दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर (प्रौढ़ एवम सतत शिक्षा विभाग) राजेश कुमार का कहना है कि शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों के ऊपर बेहतर प्रदर्शन का दबाव है। ऐसे में जरूरी है कि छात्र-शिक्षक के संबंध पढ़ाई से इतर आत्मीय भी हों। शिक्षक कक्षा में पढ़ने वाले छात्रों के नाम भी याद नहीं रख पाते हैं। यूजीसी की पहल सराहनीय है। यह बदलते वक्त की मांग भी है। यूजीसी की ओर से लागू की जा रही व्यवस्था में एक शिक्षक पर पच्चीस छात्रों की जिम्मेदारी रहेगी। शिक्षक मार्गदर्शक की भूमिका भी अदा करेगा और इसका सीधा असर विद्यार्थी के प्रदर्शन पर पड़ेगा।
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