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पाक ने MQM के दफ्तरों पर चलाया हथौड़ा, मुख्यालय को किया सील

पाक सरकार ने सिंध की मुख्य विपक्षी पार्टी एमक्यूएम पर कार्रवाई करते हुए उनके दफ्तरों को तोड़ने के साथ सील कर दिया है।

By Lalit RaiEdited By: Updated: Sun, 28 Aug 2016 01:36 PM (IST)
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कराची। सिंध सरकार ने अल्ताफ हुसैन की अगुवाई वाली मुतहिद्दा कौमी मूवमेंट(MQM) के 19 दफ्तरों को तोड़ दिया है। इसके अलावा एमक्यूएम के मुख्यालय समेत 200 शाखाओं को सील कर दिया है। एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक सिंध के बड़े पुलिस अधिकारियों का कहना है कि एमक्यूएम के दफ्तर सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा कर बनाए गए थे। लेकिन जानकारों का कहना है कि अवैध जमीन तो एक बहाना है। दरअसल निर्वासन में रह रहे अल्ताफ हुसैन द्वारा पाकिस्तान सरकार के खिलाफ की गयी टिप्पणी और अमेरिका में भूख हड़ताल की वजह से पाकिस्तानी सरकार नाराज थी।

पाक सरकार उत्तेजक भाषण के चलते अल्ताफ हुसैन पर देशद्रोह का मुकदमा चला रही है। अल्ताफ हुसैन फिलहाल लंदन में निर्वासन में रह रहे हैं। पाक पैरामिलिट्री फोर्स ने एमक्यूएम के 30 बड़े नेताओं को हिरासत में लेकर पार्टी दफ्तरों को तोड़ने का कार्रवाई शुरू की। कराची में मुक्का चौक पर अल्ताफ हुसैन की होर्डिंग और पोस्टर को भी फाड़ दिया।

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अस्सी के दशक में मुक्का चौक मुतहिद्दा कौमी मूवमेंट का एक अहम केंद्र था। यही नहीं पाकिस्तानी अधिकारियों ने मुक्का चौक का नाम बदलकर लियाकत अली खान चौक कर दिया है। अस्सी के दशक से सिंध में पाकिस्तानी हुकुमत का विरोध करने वाले अल्ताफ के पोस्टर कराची की गली कूचों में आम थे। लेकिन उनके पोस्टर अब इतिहास बन चुके हैं।

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हालांकि हाल ही में अल्ताफ हुसैन के उत्तेजक भाषणों से स्थानीय नेताओं ने किनारा कस लिया। एमक्यूएम से अलग हुए पाकिस्तान सरजमीन पार्टी के मुस्तफा कमाल ने कहा कि इस तरह की कार्रवाई का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि दफ्तरों को तोड़ने या सील करने से किसी तरह का फर्क नहीं होने वाला है। इमारतों ने तो किसी तरह का भाषण नहीं दिया था। इस तरह की कार्रवाई करने से हुसैन के लिए लोगों के दिल में सहानुभूति पैदा होगी।

सिंध में विपक्ष के एमक्यूएम नेता इजहर उल इस्लाम ने कहा कि उनकी पार्टी सरकारी कदम के खिलाफ हिंसा और विरोध की जगह कानूनी रास्ते का सहारा लेगी। पाकिस्तान की राजनीति में एमक्यूएम का उदय 1980 के दशक में हुआ था। एमक्यूएम का प्रभाव सिंध के शहरी इलाकों खासतौर से कराची, हैदराबाद, मीरपुर खास और सुकुर इलाके में है जहां बड़ी संख्या में लोग ऊर्दू बोलते हैं।

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