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दुनिया पर वर्चस्व कायम करना चाहता है अमेरिका

रूस ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के राष्ट्र के नाम संबोधन की आलोचना की है। रूस ने कहा कि ओबामा के भाषण से ऐसा लगता है कि अमेरिका नंबर एक देश है और पूरी दुनिया पर वर्चस्व चाहता है।

By manoj yadavEdited By: Updated: Wed, 21 Jan 2015 09:32 PM (IST)
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मास्को। रूस ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के राष्ट्र के नाम संबोधन की आलोचना की है। रूस ने कहा कि ओबामा के भाषण से ऐसा लगता है कि अमेरिका नंबर एक देश है और पूरी दुनिया पर वर्चस्व चाहता है।

यूक्रेन में रूस के कदम का विरोध करते हुए ओबामा ने कहा था कि अमेरिका अपने इस सिद्धांत पर कायम है कि बड़े देश छोटे देशों को परेशान नहीं कर सकते। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा, 'अमेरिकियों ने विरोध का रास्ता अपनाया हुआ है। वे अपने कदमों को नहीं देखते। ओबामा के भाषण से स्पष्ट है कि अमेरिका का एक ही सिद्धांत है कि वह नंबर एक है और हर किसी को यह मानना होगा।

अमेरिका दुनिया पर वर्चस्व कायम करना चाहता है।' लावरोव ने कहा कि यह दौर भी बीत जाएगा पर अमेरिका को इस बात को सोचने में वक्त लगेगा कि उसे अपनी विदेश नीति में कम आक्रामक होना चाहिए। हर देश को तानाशाही नहीं, सहयोग के सिद्धांत पर काम करना चाहिए। लवरोव ने कहा कि 2014 में रूस और अमेरिका के संबंध बेहद बिगड़ गए। शीत युद्ध के बाद से अमेरिका और रूस के बीच संबंध अपने निचले स्तर पर हैं। विशेष तौर पर यूक्रेन मसले पर पश्चिम से रूस के टकराव ने संबंधों को और चोट पहुंचाई।

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