अमेरिकी कंपनी ने पाकिस्तान को हथियार बेचने से किया इंकार
अमेरिकी सैनिकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यहां की एक हथियार निर्माता कंपनी ने पाकिस्तान को अत्याधुनिक बंदूकें देने से इंकार कर दिया। करोड़ों डॉलर के इस प्रस्ताव के बारे में कंपनी का कहना है कि हथियारों का प्रयोग अमेरिकी सैनिकों के खिलाफ किया जा सकता है।
By Edited By: Updated: Mon, 06 Jan 2014 04:35 PM (IST)
वाशिंगटन। अमेरिकी सैनिकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यहां की एक हथियार निर्माता कंपनी ने पाकिस्तान को अत्याधुनिक बंदूकें देने से इंकार कर दिया। करोड़ों डॉलर के इस प्रस्ताव के बारे में कंपनी का कहना है कि हथियारों का प्रयोग अमेरिकी सैनिकों के खिलाफ किया जा सकता है।
पढ़ें:शासन में अरसे से अटकी शस्त्र नीति उताह की कंपनी डेजर्ट टेक्निकल आर्म ने पाकिस्तान को स्नीपर सिस्टम की आपूर्ति करने के 1.5 करोड़ डॉलर [करीब 93 करोड़ रुपये] के प्रस्ताव को ठुकराया है। कंपनी के मालिक और अध्यक्ष निक यंग ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा, 'इस प्रस्ताव के कारण मैं धर्मसंकट में फंस गया था। हमें इस बात की आशंका थी कि हमारे हथियारों का प्रयोग अमेरिकी सैनिकों के खिलाफ किया जा सकता है। मैंने इस कंपनी की शुरुआत अमेरिकियों को सुरक्षित रखने के लिए की थी न कि उन्हें खतरे में डालने के लिए।' साथ ही कहा कि जब मैंने अन्य हथियार निर्माता कंपनियों से इस संबंध में बात की तो सभी का जवाब था कि अगर वह आपसे नहीं खरीद पाए तो उन्हें यह कहीं और से मिल जाएगा। पैसा कौन नहीं चाहता। मगर आतंरिक समीक्षा करने के बाद हमने पाकिस्तान को हथियार न बेचने का फैसला किया। यंग ने कहा कि मौजूदा अमेरिकी प्रशासन पाकिस्तानी सेना के लिए विदेशी सैन्य हथियारों की बिक्री को प्रायोजित कर रहा है। पिछले साल पाकिस्तान को कानूनी तौर पर स्नीपर सिस्टर की आपूर्ति करने के करोड़ों डॉलर के प्रस्ताव को लेकर हमसे संपर्क किया गया था। मैं कभी भी सैन्य सेवा में नहीं रहा, लेकिन कई नामी सैनिक हमारे यहां कार्यरत हैं। इस फैसले का कंपनी ने भी स्वागत किया।
वहीं उताह आर्मी नेशनल गार्ड के कर्नल रैंडी वॉट ने कहा,'पाकिस्तान को बेचे जाने वाले किसी प्रकार के हथियार से इस बात का खतरा है कि उन्हें अमेरिकी सैनिकों के खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि पाकिस्तान अमेरिका का सहयोगी है, लेकिन पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी और उसकी सरकार के बीच बढ़ती दरार चिंता का कारण हैं। यह वही देश है जहां पूर्व अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन मारा गया था। तालिबान का संबंध भी इसी देश से है।
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