सू की को राष्ट्रपति नहीं बनने देगी सेना
लोकतंत्र के लिए दशकों संघर्ष करने वाली नोबेल पुरस्कार विजेता नेता को सेना शीर्ष पद पर नहीं देखना चाहती है। उनको रोकने के लिए किए गए संवैधानिक प्रावधानों को हटाने को लेकर चल रही बातचीत असफल रही है।
By Atul GuptaEdited By: Updated: Thu, 10 Mar 2016 10:10 AM (IST)
नई दिल्ली। सू की म्यांमार की राष्ट्रपति नहीं बनेंगी। लोकतंत्र के लिए दशकों संघर्ष करने वाली नोबेल पुरस्कार विजेता नेता को सेना शीर्ष पद पर नहीं देखना चाहती है। उनको रोकने के लिए किए गए संवैधानिक प्रावधानों को हटाने को लेकर चल रही बातचीत असफल रही है। इसके साथ ही बीते कुछ महीनों से म्यांमार की राजनीति में चल रहा सद्भाव खत्म होने और सरकार व सेना के बीच टकराव की आशंका बढ़ गई है।
एक अप्रैल को नए राष्ट्रपति कामकाज संभालेंगे। उससे पहले संसद के दोनों सदन और सैन्य प्रतिनिधि शीर्ष पद के लिए एक-एक उम्मीदवार को गुरुवार को नामांकित करेंगे। संसद के संयुक्त सत्र के दौरान सदस्य इनमें से एक को राष्ट्रपति चुनेंगे। आंकड़े सू की की पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) के पक्ष में हैं। लेकिन, सेना का रुख नई सरकार के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। संसद की 25 फीसद सीटें और अहम मंत्रलय सैन्य प्रतिनिधियों के लिए आरक्षित हैं।एनएलडी के एक वरिष्ठ सांसद ने बताया कि सू की को उम्मीद थी कि वे सेना के साथ मिलकर काम करने का माहौल बना पाएंगी। लेकिन, सेना प्रमुख के साथ आखिरी बैठक के बाद उनका मानना है कि यह संभव नहीं है। सेना और एनएलडी के बीच इस संबंध में बातचीत बीते साल हुए ऐतिहासिक चुनाव में एनएलडी की एकतरफा जीत के बाद शुरू हुई थी। नवंबर में हुए चुनावों में पार्टी ने 70 फीसद सीटों पर कामयाबी हासिल की थी। इसके बाद सेना ने भी नरम रुख दिखाया था। सैन्य सांसदों के प्रवक्ता जनरल तिन सान नेंग ने इस मामले में टिप्पणी से इन्कार किया है। गौरतलब है कि संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार विदेशी नागरिक से शादी करने वाला या जिनके बचों के पास विदेशी नागरिकता हो वे म्यांमार का राष्ट्रपति नहीं बन सकते। सू की के बचे ब्रिटिश नागरिक हैं। संविधान में यह प्रावधान सैन्य सरकार ने सू की को सवरेच पद तक पहुंचने से रोकने के लिए ही किया था। हालांकि नतीजों के बाद सू की ने कहा था कि यदि वे राष्ट्रपति नहीं बन पाईं तो भी वे राष्ट्रपति को नियंत्रित करने की भूमिका में होंगी।