बांग्लादेश में पूर्व मंत्रियों, उल्फा नेता परेश बरुआ को मृत्युदंड
बांग्लादेश की एक अदालत ने देश के इतिहास में हथियारों की सबसे बड़ी बरामदगी के दस वर्ष पुराने मामले में गुरुवार को जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख और भारत के अलगाववादी संगठन उल्फा के शीर्ष नेता समेत 14 लोगों को मौत की सजा सुनाई।
By Edited By: Updated: Sun, 09 Feb 2014 02:53 PM (IST)
ढाका। बांग्लादेश की एक अदालत ने देश के इतिहास में हथियारों की सबसे बड़ी बरामदगी के दस वर्ष पुराने मामले में गुरुवार को जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख और भारत के अलगाववादी संगठन उल्फा के शीर्ष नेता समेत 14 लोगों को मौत की सजा सुनाई।
जज एसएम मुजीबुर रहमान ने कड़ी सुरक्षा के बीच खचाखच भरी अदालत में यह फैसला सुनाया। यह फैसला हथियारों से भरे दस ट्रकों को दो अप्रैल, 2004 को जब्त करने के करीब एक दशक बाद आया है। इन ट्रकों को बांग्लादेश के जरिए पूर्वोत्तार भारत में उल्फा के ठिकानों पर भेजा जा रहा था। ट्रकों पर लदे करीब 1500 बॉक्स में एके-47 राइफल, चाइनीज पिस्तौल, कार्बाइन, रॉकेट लांचर, 27 हजार ग्रेनेट और 1.1 करोड़ गोलियों को बरामद किया गया था। निजी टीवी चैनल समायो ने कहा, मेट्रोपॉलिटन स्पेशल ट्रिब्यूनल-1 ने 14 लोगों को मौत की सजा सुनाई। यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम [उल्फा] की सैन्य शाखा के प्रमुख परेश बरुआ को उसकी गैरमौजूदगी में मौत की सजा सुनाई गई। इसके अलावा जमात-ए-इस्लामी प्रमुख और पूर्व मंत्री मतिउर रहमान निजामी और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी [बीएनपी] की अगुवाई वाली तत्कालीन दक्षिणपंथी सरकार में उपगृहमंत्री लुत्फुज्जमान बाबर को भी मौत की सजा दी गई। सिर्फ दो दोषियों बरुआ और पूर्व अतिरिक्त सचिव नुरुल अमीन पर उनकी गैरमौजूदगी में मुकदमा चला। परेश बरुआ गुट ने अपने एक और साथी की हत्या की
नेशनल सिक्योरिटी इंटेलीजेंस [एनएसआइ] के पूर्व महानिदेशक ब्रिगेडियर जनरल अब्दुर रहीम और डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ फोर्सेस इंटेलीजेंस के पूर्व मेजर जनरल रेजाकुल हैदर चौधरी को भी मौत की सजा दी गई। फैसला आने के बाद बीएनपी समर्थक वकीलों ने अदालत के बाहर नारेबाजी की और इसे राजनीति से प्रेरित फैसला बताया। बचाव पक्ष के वकीलों ने कहा कि वे फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील करेंगे।
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