पीएम मोदी अौर राष्ट्रपति ओबामा की दोस्ती से बौखलाया चीन
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की बढ़ती दोस्ती ने चीन के माथे पर चिंता की लकीरे डाल दी हैं।
बीजिंग, आइएएनएस।भारत और अमेरिका के बढ़ते रिश्तों से चीन बौखला गया है। उसने जहां अमेरिका पर एशिया-प्रशांत क्षेत्र को अस्थिर करने का आरोप लगाया है-वहीं भारत को समझाने की कोशिश की है कि वह अपनी गुट निरपेक्ष नीति से न हटे। यह उसकी विरासत है। चीन भारत के विकास में सहयोग देने को तैयार है। चीन के बगैर भारत के सपने साकार नहीं होंगे। चीन ने यह बात सरकार नियंत्रित समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स के माध्यम के कही है।
अखबार ने लिखा है कि अमेरिका भारत को अपने 'दाहिने हाथ' के रूप में इस्तेमाल करके चीन के बढ़ते स्वरूप को संतुलित करना चाह रहा है। लेकिन यह भारत सरकार को सोचना है कि उसे चीन को खारिज करके या उसको साथ लेकर चलना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दो साल में चौथे अमेरिका दौरे और सातवीं बार राष्ट्रपति ओबामा के साथ मुलाकात का जिक्र करते हुए अखबार ने लिखा है कि एक पक्ष के साथ जाने या दूसरे पक्ष के खिलाफ काम करने से भारत विकास नहीं कर लेगा। बल्कि भारत को अपने मूल सिद्धांत- स्वतंत्रता और गुट निरपेक्षता पर रहकर ही आगे बढ़ने का रास्ता तलाशना चाहिए।
यह भी पढ़ें- भारत-अमेरिका में करार, जून 2017 तक भारत में लगेंगे छह परमाणु प्लांट
अखबार ने लिखा है कि अमेरिका इलाके की राजनीतिक स्थितियों को बदलना चाहता है। वाशिंगटन चाहता है कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र उसके अनुसार संतुलित हो। इसके लिए वह रणनीतिक महत्व, आर्थिक संभावनाओं और व्यावहारिक एकरूपता के चलते भारत को साथ लेना चाहता है। जबकि भारत इसके बदले में विकास में सहयोग और अंतरराष्ट्रीय रुतबा पाना चाहता है। भारत को महाशक्ति बनाने की नीयत से ही मोदी अमेरिका से लगातार वार्ता कर रहे हैं। इसीलिए उस समझौते पर दस्तखत करने को तैयार हैं जिससे अमेरिका और भारत एक-दूसरे के सैन्य तंत्र का इस्तेमाल कर सकेंगे। बदले में अमेरिका भारत को परमाणु ताकत के रूप में हैसियत दिलाने के लिए उसे एनएसजी का सदस्य बनवाने में मदद कर रहा है। चीन ने माना है कि भारत और अमेरिका के संबंध अभूतपूर्व मुकाम पर हैं। इसका असर दक्षिण चीन सागर की स्थितियों पर भी पड़ना तय है।
यह भी पढ़ें- चीन ने अमेरिका के इस विमान को असुरक्षित तरीके से रोका