चीन ने सिक्किम के करीब तक बिछाई रेल पटरी
भारत की सीमा से लगे अपने इलाकों में रेल नेटवर्क मजबूत कर रहे चीन ने शुक्रवार को तिब्बत में अपनी दूसरी रेल लाइन का उद्घाटन किया। 216 करोड़ डालर की लागत से बनी यह रेल लाइन सिक्किम में भारतीय सीमा के बेहद नजदीक है। इसके जरिये चीन की सेना सुदूर व कूटनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण हिमालयी क्षेत्र में आसानी से आ जा सक
By Edited By: Updated: Sat, 16 Aug 2014 08:49 AM (IST)
बीजिंग। भारत की सीमा से लगे अपने इलाकों में रेल नेटवर्क मजबूत कर रहे चीन ने शुक्रवार को तिब्बत में अपनी दूसरी रेल लाइन का उद्घाटन किया। 216 करोड़ डालर की लागत से बनी यह रेल लाइन सिक्किम में भारतीय सीमा के बेहद नजदीक है। इसके जरिये चीन की सेना सुदूर व कूटनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण हिमालयी क्षेत्र में आसानी से आ जा सकेगी।
253 किलोमीटर की यह रेल लाइन तिब्बत की राजधानी ल्हासा को क्षेत्र के दूसरे सबसे बड़े शहर शिगाजे से जोड़ती है। यह रेल लाइन चीन की नेपाल व भूटान से लगने वाली सीमा के भी करीब है। सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, इस रेल लाइन के बाद ल्हासा से शिगाजे की दूरी चार घंटे के बजाय दो घंटे में ही पूरी की जा सकेगी। तिब्बत में यह दूसरी रेल लाइन है, जो किंघाई-तिब्बत रेलवे का ही विस्तार है। चीन ने यह रेल लाइन 2010 में बिछानी शुरू की थी। चीन ने पिछले महीने अरुणाचल प्रदेश के नजदीक तिब्बत में एक नई महत्वपूर्ण रेल लाइन के निर्माण की अपनी योजना से भी पर्दा उठाया था। एक आधिकारिक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया था कि पूर्व में ल्हासा को निंगची से जोड़ने वाली नई रेल लाइन पर काम जल्द शुरू होगा। निंगची अरुणाचल के बेहद नजदीक है। चीन दावा करता है कि अरुणाचल, तिब्बत का ही हिस्सा है। रिपोर्ट में हालांकि कहा गया कि रेलवे का यह विस्तार 2020 तक नेपाल, भूटान व भारत को जोड़ेगा। सामरिक विशेषज्ञों के मुताबिक, तिब्बत में चीन के बढ़ते रेल नेटवर्क से विवादित सीमा क्षेत्र में चीन की दावेदारी को बल मिलेगा।