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SCS पर चीन हताश, अमेरिका-जापान को बताया कायर और नपुंसक

दक्षिण चीन पर चीन की निराशा साफ-साफ दिखाई दे रही है। ग्लोबल टाइम्स में चीन की तरफ से अमेरिका और जापान के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की गयी है।

By Lalit RaiEdited By: Updated: Fri, 15 Jul 2016 12:26 PM (IST)
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बीजिंग। दक्षिण चीन सागर पर मुंह की खाने के बाद चीन बुरी तरह से बिफरा हुआ है। पंचाट के फैसले को एक तरफ वो गैर कानूनी करार देता है, तो दूसरी तरफ भारत द्वारा समर्थन दिए जाने की बात कहता है। लेकिन एक कदम आगे बढ़कर चीन सरकारी की आवाज ग्लोबल टाइम्स ने अमेरिका और जापान को कागजी शेर के साथ नपुंसक करार दिया। चीन के सरकारी मीडिया ने गुरुवार को कहा कि अगर संयुक्त राष्ट्र समर्थित न्यायाधिकरण के फैसले को लागू करने के लिए अमेरिकी युद्धपोत दक्षिण चीन सागर में चीन के दावे वाले द्वीप समूहों के पास अभ्यास करता है तो सेना को ''जवाबी हमले'' के लिए तैयार रहना चाहिए।

सरकारी 'ग्लोबल टाइम्स' में 'शेखी बघारने वाला अमेरिका दक्षिण चीन सागर में कागजी शेर' शीर्षक से छपे एक संपादकीय में कहा गया कि द हेग में मंगलवार को स्थायी मध्यस्थता अदालत में चीन के खिलाफ फैसले के समर्थन में अमेरिका ने मजबूत आवाज उठाई।

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खास बातें
-अमेरिका को धमकाते हुए कहा, उकसाने की कार्रवाई करने का खतरनाक अंजाम होगा।


-हेग पंचाट के निर्णय का अमेरिका ने भरपूर समर्थन किया है।


-जापान को भी 'बेवजह' परेशान होने के लिए कोसा।

अमेरिका ने कहा है कि यह फैसला कानूनी रूप से बाध्यकारी है। इसके अनुसार अधिकतर नेताओं और प्रतिनिधि सभा एवं सीनेट के सांसदों ने उत्तेजक टिप्पणियां कीं। समुद्री क्षेत्र के अधिकतर भाग में चीन के दावों के लिए नौसेना एवं हवाई गश्तों के जरिए नियमित चुनौतियों की मांग कर रहे हैं। जापान का रुख भी बिल्कुल अमेरिका की ही तरह है।

ग्लोबल टाइम्स में लिखागया है कि एक पुरानी चीनी कहावत यह कहती है कि राजा को चिंता नहीं होती लेकिन नपुंसकों को चिंता सताती है। इसका मतलब .ये है कि खिलाड़ी के बजाय बाहरी लोग अधिक बेचैन हैं। इस मामले में अमेरिका और जापान ऐसे ही परेशान नपुंसक हैं।

एएफपी के अनुसार कुआलालम्पुर में एक क्षेत्रीय राजनयिक ने गुरुवार को बताया कि दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संगठन (आसियान) अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण द्वारा चीनी क्षेत्रीय दावों को खारिज किए जाने पर कोई बयान जारी नहीं करेगा, जिस पर चीन के दबाव में कोई बयान नहीं देने का आरोप है।

दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संगठन (आसियान) ने इस फैसले पर बेहद नपे तुले शब्दों में कहा कि दक्षिण पूर्व एशियाई राजनयिक को इस मामले की जानकारी है।

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