'दक्षिण चीन सागर' पर चीन का दावा खारिज, फिलीपींस ने जताई खुशी
इंटरनेशनल कोर्ट ने दक्षिण चीन सागर पर दिए अपने अहम फैसले में चीन के दावे को खारिज कर दिया है। कोर्ट का कहना है कि इस क्षेत्र पर चीन के दावे का कोई प्रमाण नहीं है।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Wed, 13 Jul 2016 07:40 AM (IST)
हेग, एएफपी : दक्षिण चीन सागर पर अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण ने मंगलवार को अपना बहुप्रतीक्षित फैसला सुना दिया। फिलीपींस की याचिका पर सुनवाई के बाद दिए फैसले में न्यायालय ने सागर पर चीन के दावे को खारिज कर दिया है। कहा है, कोई ऐसा ऐतिहासिक तथ्य नहीं है जिससे साबित होता हो कि दक्षिण चीन सागर पर पहले कभी चीन का अधिकार था। जबकि सागर के एक हिस्से पर फिलीपींस के दावे की पुष्टि हुई है।
चीन ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के इस फैसले को मानने से इन्कार कर दिया है। वह मामले की सुनवाई से भी दूर रहा था। चीन ने साफ कहा है कि उसकी सेनाएं देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए तैयार हैं। दक्षिण चीन सागर पर अधिकार को लेकर पिछले कई वर्षों से विवाद की स्थिति बनी हुई है। खरबों रुपये मूल्य की वस्तुओं के इस व्यापार मार्ग को चीन हथियाना चाहता है। इसके चलते फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया आदि से उसकी तनातनी बनी हुई है। अमेरिका ने इन देशों के पक्ष में आकर चीन के लिए चुनौती पेश की है।
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फिलीपींस सागर पर अपने अधिकार को लेकर सन 2013 में हेग के अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में गया था। इसी पर सुनाए फैसले में न्यायालय ने कहा है कि चीन का पूरे दक्षिण चीन सागर पर कोई कानूनी अधिकार नहीं बनता। चीन और फिलीपींस ने अन्य देशों के साथ इस न्यायालय के जरिये विवाद सुलझाने के अंतरराष्ट्रीय समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस लिहाज से चीन को यह आदेश मानना चाहिए लेकिन न्यायालय के पास उसे बाध्य करने की शक्तियां नहीं हैं।पाक में मार्शल लॉ लगाने की मांग, आर्मी चीफ के पोस्टरों से पटे शहर चीन के सरकार नियंत्रित मीडिया ने पूरे मामले में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय को राजनीतिक हितों के लिए इस्तेमाल किए जाने का आरोप लगाया है। कहा है कि प्राचीन काल से चीनी मछुआरे इस सागर में जीते और मरते रहे हैं, इस तथ्य की अनदेखी की गई। चीन ने इस सिलसिले में सन 1940 का एक नक्शा पेश किया है जिसमें नाइन डेश लाइन (चीन सामुद्रिक सीमारेखा) को उसके दावे के अनुसार दिखाया गया है। इस फैसले पर फिलीपींस के हाल ही में सत्तारूढ़ हुए राष्ट्रपति रोडरीगो ड्यूटर्ट ने नरम रुख दिखाया है। उन्होंने इस मामले में चीन के साथ संबंधों में तनाव पैदा न होने देने की बात कही है।
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इलाके में अमेरिकी विमानवाहक पोत यूएसएस रोनाल्ड रीगन की मौजूदगी से बेपरवाह चीन ने कहा है कि वह अपनी स्थिति से एक भी कदम पीछे नहीं हटेगा। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बयान को दोहराते हुए सरकारी मीडिया ने कहा है कि संप्रभुता के साथ कोई समझौता नहीं होगा। न हम डर रहे हैं और न मुश्किल महसूस कर रहे हैं। चीन ने इस मसले पर दुनिया के देशों से समर्थन मांगा है।