झूठ बोलने पर उतरा चीन- सरकारी अखबार का दावा, SCS पर भारत ने किया समर्थन
दक्षिण चीन सागर पर मुंह की खाने के बाद चीन दुष्प्रचार में जुट गया है। चीन के मुताबिक भारत ने उसके पक्ष का समर्थन किया था।
बीजिंग। संयुक्त राष्ट्र समर्थित एक पंचाट द्वारा दक्षिण चीन सागर पर ऐतिहासिक अधिकार के चीन के दावे को खारिज कर दिया है। पंचाट के इस फैसले के बाद चीन बौखला गया है। बौखलाहट में चीन के सरकारी अखबार ने भारत को भी उन देशों में शामिल किया, जिन्होंने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र के बारे में चीनी रुख का समर्थन किया है।
सरकारी अखबार 'चाइना डेली' ने अपनी वेबसाइट पर विश्व का एक मानचित्र प्रदर्शित किया है। जिसमें भारत को उन देशों के रूप में दर्शाया गया है, जिन्होंने चीन के रुख का समर्थन किया। मानचित्र के साथ टिप्पणी की गई है कि 70 से ज्यादा देशों ने सार्वजनिक रूप से चीन के रुख का समर्थन किया कि दक्षिण चीन सागर विवाद का हल बातचीत के जरिये होना चाहिए न कि मध्यस्थता के द्वारा। इसके विपरीत सिर्फ कुछ देशों ने विशेषकर अमेरिका और उसके करीबी सहयोगियों ने सार्वजनिक रूप से फिलीपीन का समर्थन किया और फैसले को बाध्यकारी बताया।
दक्षिण चीन सागर पर चीन चित, जानिए - अब इस मामले में क्या होगा
पंचाट का फैसला आने के कुछ घंटे बाद ही नई दिल्ली में भारत के विदेश मंत्रालय ने एससीएस मुद्दे से जुड़े सभी पक्षों को समुद्री विवाद शांतिपूर्ण तरीके से बिना बल प्रयोग के हल करने को कहा। इसके साथ ही भारत ने हेग स्थित न्यायालय के फैसले का 'अधिकतम सम्मान' करने को भी कहा।
खास बातें
-UN के पंचाट ने इस समुद्री क्षेत्र पर चीन के अधिकार के दावे को खारिज किया।
-इससे नाराज चीन ने कहा वह फैसले को स्वीकार नहीं करता है।
-वहीं भारत ने सभी पक्षों से इस फैसले का सम्मान करने के लिए कहा।
पंचाट के फैसले के बाद चीन की प्रतिक्रिया
दक्षिण चीन सागर पर आए अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के फैसले को कूड़े में फेंकने योग्य बताते हुए चीन ने विवादित इलाके पर हवाई सुरक्षा क्षेत्र बनाने का अधिकार जताया है। इससे अन्य देश के विमान को वह सागर के ऊपर से उड़ने से रोक सकेगा। चीनी रक्षा मंत्री जनरल चांग वैंकुआन ने साफ कहा है कि उनका देश न्यायाधिकरण के आदेशानुसार कोई कार्य नहीं करेगा।
उन्होंने कहा, चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता और समुद्री हित किसी भी आदेश से प्रभावित नहीं होने दिए जाएंगे। हेग स्थित न्यायाधिकरण का आदेश मंगलवार को आया था। इसमें फिलीपींस के दावे को सही मानते हुए दक्षिण चीन सागर के अधिकांश हिस्से पर चीन के अधिकार का दावा खारिज कर दिया गया है। चीन के दावे को बल देते हुए वहां के सहायक विदेश मंत्री लियू झेनमिन ने कहा है कि उनके देश की नौसेना किसी भी समय दक्षिण चीन सागर को अपने अधिकार में ले सकती है। लेकिन इससे पहले ताइवान ने अपनी जल सीमा की रक्षा के लिए सागर में अपना नौसैनिक जहाज तैनात कर दिया है।
लियू ने फिलीपींस के साथ सागर क्षेत्र पर अधिकार को लेकर फिर से वार्ता शुरू करने की इच्छा जताई है। साथ ही चेतावनी दी कि क्षेत्र में तनाव पैदा करके इसे युद्ध क्षेत्र में तब्दील न किया जाए। इस बीच चीन ने बुधवार को एक श्वेत पत्र जारी किया, जिसमें दक्षिण चीन सागर पर उसके अधिकार को सही ठहराने वाली बातें लिखी गई हैं। कहा गया है कि दो हजार साल से चीन का सागर पर कब्जा है। श्वेत पत्र में न्यायाधिकरण की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाए गए हैं।
उकसाने वाली गतिविधियों से बचें : अमेरिका
अमेरिका ने कहा है कि न्यायाधिकरण का फैसला अंतिम और बाध्यकारी है। इसको माना जाना चाहिए। व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जोश अर्नेस्ट ने कहा है कि इस मामले में सभी संबद्ध पक्षों को उकसाने वाली गतिविधियों से बचना चाहिए। जबकि अमेरिका में चीन के राजदूत क्यूई तियंकाई ने कहा है कि आदेश से इलाके में तनाव में इजाफा होगा और टकराव का खतरा बढ़ेगा।