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चीनी पनडुब्बियों को अपने यहां लंगर नहीं डालने देगा श्रीलंका

श्रीलंका ने शनिवार को कहा कि वह चीन की पनडुब्बियों को अपने बंदरगाहों पर लंगर डालने की इजाजत नहीं देगा। पड़ोसी देश के इस रुख का स्पष्ट मकसद भारत की चिंता को कम करना है।

By Gunateet OjhaEdited By: Updated: Sat, 28 Feb 2015 09:36 PM (IST)
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बीजिंग। श्रीलंका ने शनिवार को कहा कि वह चीन की पनडुब्बियों को अपने बंदरगाहों पर लंगर डालने की इजाजत नहीं देगा। पड़ोसी देश के इस रुख का स्पष्ट मकसद भारत की चिंता को कम करना है।

श्रीलंका की नई सरकार ने यह स्वीकार किया है कि पिछले साल जब जापान के प्रधानमंत्री श्रीलंका दौरे पर थे तब चीनी पनडुब्बियां श्रीलंकाई बंदरगाह पर थीं।

भारत चीनी पनडुब्बियों के श्रीलंकाई बंदरगाहों पर लंगर डालने को लेकर चिंतित है। पिछली सरकार द्वारा चीन समर्थक नीति को लेकर भारत द्वारा जताई गई चिंता से जुड़े सवालों पर श्रीलंकाई विदेश मंत्री मंगला समरवीरा ने कहा कि उनकी सरकार की विदेश नीति का लक्ष्य श्रीलंका को केंद्र में वापस लाना है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि केंद्र में वापस लाने का अभिप्राय और संतुलित विदेश नीति से है। श्रीलंका में नई सरकार के गठन के बाद समरवीरा सबसे पहले भारत आए थे।

समरवीरा ने संवाददाताओं को यहां कहा, 'मैं वास्तव में नहीं जानता कि किन परिस्थितियों में उसी दिन कोलंबो बंदरगाह पर कुछ पनडुब्बियां पहुंची थीं जिस दिन जापान के प्रधानमंत्री शिंजो एबी श्रीलंका पहुंचे थे।'

समरवीरा ने आगे कहा, लेकिन हम यह सुनिश्चित करेंगे कि भविष्य में किसी भी हाल में इस तरह की घटना हमारे कार्यकाल में न हो। चीन दौरे पर पहुंचे समरवीरा ने चीन के प्रधानमंत्री ली कछयांग और विदेश मंत्री वांग यी से विस्तार से बातचीत की।

चीन और जापान के तनावपूर्ण रिश्तों के बीच चीन ने पनडुब्बियों के श्रीलंका में लंगर डालने का यह कहते हुए बचाव किया है कि इसमें कुछ भी असामान्य नहीं है क्योंकि विदेश में किसी भी बंदरगाह पर ईधन लेने के लिए पोतों या पनडुब्बियों का रुकना आम अंतरराष्ट्रीय प्रचलन है।

यह भी कहा गया है कि वे पनडुब्बियां अदन की खाड़ी में समुद्री लुटेरों के खिलाफ तैनात लड़ाकू बेड़े का हिस्सा थीं। श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे द्वारा समर्थित चीन के समुद्री सिल्क रोड (एमआरएस) परियोजना के बारे में श्रीलंकाई विदेश मंत्री ने कहा कि इस परियोजना का अंतिम ब्लू प्रिंट अभी चीन को जारी करना है।

इस परियोजना को लेकर भारत ने चिंता जताई है क्योंकि खासकर कोलंबो बंदरगाह का इस्तेमाल कर चीन हिंद महासागर में अपना दबदबा बढ़ा लेगा।