Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

गाय का दूध ठीक कर सकता है पेट का कैंसर

दूध के दीवानों के लिए एक अच्छी खबर है। एक ताजा रिसर्च में वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि गाय के दूध में एक ऐसा पेप्टाइड होता है जो मनुष्य के पेट के कैंसर सेल को मारने में सक्षम है। ताइवान में किए गए इस शोध में वैज्ञानिकों ने गाय के दूध से पेप्टाइड फ्रैगमेन्ट ढूंढ निकाला है जिसका नाम लैक्टोफैरीसिन बी25 (एलएफ सिन बी25) है।

By Edited By: Updated: Fri, 08 Nov 2013 04:46 PM (IST)
Hero Image

बीजिंग। दूध के दीवानों के लिए एक अच्छी खबर है। एक ताजा रिसर्च में वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि गाय के दूध में एक ऐसा पेप्टाइड होता है जो मनुष्य के पेट के कैंसर सेल को मारने में सक्षम है।

ताइवान में किए गए इस शोध में वैज्ञानिकों ने गाय के दूध से पेप्टाइड फ्रैगमेन्ट ढूंढ निकाला है जिसका नाम लैक्टोफैरीसिन बी25 (एलएफ सिन बी25) है। खोज में पता चला है कि इस पेप्टाइड में मानव शरीर होने वाले पेट के कैंसर से लड़ने की क्षमता होती है।

राष्ट्रीय इलान विश्वविद्यालय ताइवान के बायोटेक्नोलॉजी एंड एनिमल साइंस विभाग के वाई-जंग-चेन ने बताया कि भविष्य में इस खोज को गैस्ट्रिक कैंसर के इलाज में प्रयोग में लाया जा सकता है। विश्व में खासतौर से एशियाई देशों में, कैंसर से मरने वालों में सबसे अधिक मृत्यु-दर गैस्ट्रिक कैंसर से मरने वालों की है।

शोधकर्ताओं ने लेक्टोफेरिसिन बी से प्राप्त तीन फ्रैगमेन्ट से होने वाले असर की जांच की। ये तीनों ही एन्टीमाइक्रोबियल प्रॉपर्टी वाले पेप्टाइड थे। पर इनमें से केवल एक एलएफ सिन बी25 ही ह्यूंमन गैस्ट्रिक एडीनोकारसीनोमा सेल के जीवन को कम कर सका।

माइक्रोस्कोप से किए गए शोध में शोधकर्ताओं ने ये पाया कि एलएफ सिन बी25 गैस्ट्रिक कैंसर सेल के पास एक घंटे तक रखे जाने के बाद एलएफ सिन बी25 एजीएस के सेल मेम्ब्रेन में घुस गए और 24 घंटे के अंदर ही कैंसर सेल सिकुड़ कर इतने छोटे हो गए कि उनकी सारी क्षमता ही खत्म हो गई।

शुरुआती स्टेज के शोध में तो एलएफसिनबी25 ने कैंसर सेल के काम करने की क्षमता को अपॉप्टोसिस (प्रोग्राम्ड सेल डेथ) और ऑटोफैगी (डैमेज सेल पार्ट में गिरावट आना या उनकी रिसाइक्लिंग होना) दोनों ही तरह से प्रभावित किया।

बाद के स्टेज में ऑटोफैगी प्रक्रिया कम हो गई और अपॉप्टोसिस प्रक्रिया कासपेस-डिपेंडेंट मकैनिज्म के माध्यम से ज्यादा प्रभावी रही। शोधकर्ताओं ने बेक्लिन-1 नामक प्रोटीन को टार्गेट करने का सुझाव दिया है जिससे एलएफसिनबी25 के कैंसर से लड़ने की क्षमता और बढ़ सकती है। बेक्लिन-1 मनुष्यों में पाया जाने वाला एक ऐसा प्रोटीन है जो ऑटोफैगी, ट्यूमर के विकास और न्यूरॉन्स के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं। शोधकर्ता का कहना है कि बेक्लिन-1, एलएफसिनबी25 के संपर्क में आने पर समय के हिसाब से बढ़ते हैं। इस तरह भविष्य में यह नई दवाओं को बनाने में बहुत मददगार होगा और एलएफसिन25 की कैंसर से लड़ने की क्षमता को और बढ़ाएगा।

एलएफसिन25 का प्रयोग आने वाले समय में कई तरह की कैंसर की दवाईयां बनाने और गैस्ट्रिक कैंसर के कीमोथेरेपी ट्रीटमेंट के लिए भी उपयोग में लाया जा सकेगा।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर