चीन को नजरअंदाज कर दलाईलामा से मिले ओबामा
चीन को धता बताते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने शुक्रवार को ह्वाइट हाउस में तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा से भेंट की। पिछले चार साल के दौरान ओबामा और दलाईलामा की यह तीसरी मुलाकात है। करीब एक घंटे तक चली इस भेंट से कुछ घंटे पहले चीन ने कहा था कि उसके अंदरूनी मामलों में इस तरह के दखल से दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को 'बड़ा नुकसान' पहुंचेगा।
By Edited By: Updated: Fri, 21 Feb 2014 11:41 PM (IST)
वाशिंगटन। चीन को धता बताते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने शुक्रवार को ह्वाइट हाउस में तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा से भेंट की। पिछले चार साल के दौरान ओबामा और दलाईलामा की यह तीसरी मुलाकात है। करीब एक घंटे तक चली इस भेंट से कुछ घंटे पहले चीन ने कहा था कि उसके अंदरूनी मामलों में इस तरह के दखल से दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को 'बड़ा नुकसान' पहुंचेगा।
अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता कैटलिन हेडेन ने गुरुवार को घोषणा की थी कि अमेरिकी राष्ट्रपति अंतरराष्ट्रीय जगत में सम्मानित धर्मगुरु व सांस्कृतिक नेता दलाईलामा से मुलाकात करेंगे। ह्वाइट हाउस के इस एलान पर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई थी। चीन हमेशा से ही विदेशी नेताओं की दलाईलामा से मुलाकात का विरोध जताता आया है। पढ़ें : भारत-चीन की प्रतिद्वंद्विता एशिया के हित में नहीं : दलाईलामा ओबामा-दलाईलामा भेंट से पहले चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने बीजिंग में एक बयान में कहा था, 'हम अमेरिका से चीन की चिंताओं को गंभीरता से लेने की अपील करते हैं। दलाईलामा को चीन विरोधी अलगाववादी चालें चलने के लिए अमेरिका अवसर मुहैया न कराए। इस बैठक पर चीन बेहद चिंतित है। तिब्बत, चीन का आंतरिक मामला है। यह बैठक चीन के आंतरिक मामले में अनुचित हस्तक्षेप और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के सिद्धांतों का गंभीर उल्लंघन है। इससे अमेरिका-चीन संबंधों को बड़ा नुकसान पहुंचेगा। हम अमेरिका से चीन की चिंताओं को गंभीरता से लेने की अपील करते हुए इस बैठक को तुरंत निरस्त करने और दलाईलामा को अलगाववादी गतिविधियों के लिए अमेरिका में आश्रय न देने का आग्रह करते हैं।'
पढ़ें : चीन से आजादी नहीं चाहता तिब्बत : दलाई लामा यह पूछे जाने पर कि अगर ओबामा बैठक को निरस्त नहीं करते तो चीन का जवाब क्या होगा, प्रवक्ता ने कहा था कि दलाईलामा से किसी भी विदेशी नेता की मुलाकात का चीन कड़ा विरोध करता है। हम बताना चाहते हैं कि अगर कोई देश चीन के हितों को ठेस पहुंचाएगा तो उसके हितों को भी ठेस पहुंच सकती है। नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित ओबामा और दलाईलामा इससे पहले 2010 और 2011 में मिले थे। चीन ने तब भी कड़ा विरोध जताया था।