जनमत संग्रह के फैसले के बाद बोले कैमरन, जल्द ही छोड़़ दूंगा पीएम पद
ब्रिटिश पीएम डेविड कैमरन ने कहा कि ईयू के बगैर भी ब्रिटेन बेहतर कर सकता है। नए संबंधों के लिए हमें नए पीएम का इंतजार करना चाहिए।
By Lalit RaiEdited By: Updated: Fri, 24 Jun 2016 02:32 PM (IST)
लंदन (पीटीआई)। जनमत संग्रह में यूरोपीय यूनियन के विरोध में आए फैसले के बाद ब्रिटेन में सियासत शुरू हो चुकी है। एंटी ईयू के समर्थन में अभियान चलाने वाले डॉ नाइजल फरागे ने कहा कि अब ब्रिटेन में ब्रेग्जिट सरकार को आना चाहिए। ब्रिटेन के पीएम डेविड कैमरन ने कहा कि ईयू के साथ नए संबंधों की शुरुआत के लिए नए पीएम को आना चाहिए। वो तीन महीने में अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। अक्टूबर तक इस मुद्दे पर फैसला होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस फैसले के बाद शायद उनके लिए नए अध्याय को शुरू करना सही नहीं होगा।
कैमरन ने ये भी कहा कि जहां तक उनकी समझ रही उसके हिसाब से उन्होंने इस लड़ाई को आगे बढ़ाया। ईयू के साथ नए रिश्तों की कहानी नए पीएम के साथ शुरू होनी चाहिए। ब्रिटेन यूरोपीय युनियन में शामिल हुए बगैर आगे बढ़ सकता है। आने वाले हफ्तों और महीनों में मैं जो कुछ भी कर सकता हूं। वो पीएम पद की हैसियत से करुंगा। जनमत संग्रह के फैसले का सम्मान करने की जरुरत है। लेकिन हर किसी को चाहे वो इस फैसले का समर्थक हो या विरोधी ब्रिटेन की बेहतरी के लिए काम करना चाहिए।एंटी EU समर्थक नाइजल फरागे बोले, 23 जून को स्वतंत्रता दिवस करो घोषितइसका क्या मतलब है ?
यूरोपीय यूनियन से ब्रिटेन के बाहर चले जाने के फैसले के बाद इस संगठन के देश अचंभे में है। अभी तक इसके किसी सदस्यों ने इसे नहीं छोड़ा है। हालांकि, यूरोपीय यूनियन ट्रिटी का आर्टिकल 50 इसलिए बनाया गया है कि ताकि जो देश इससे बाहर निकलना चाहता है वो इस संगठन को छोड़कर बाहर जा सकता है। इससे निकलने के लिए दो वर्ष की अवधि कानून तौर पर तय की गई है। हालांकि, कई लोगों में इस बात का भय है कि ये प्रक्रिया अर्थव्यवस्था को पटरी से उतार देगी।अब केजरीवाल भी बोले, 'दिल्ली को पूर्ण राज्य के लिए भी हो जनमत संग्रह'
उधर, ब्रिटेन के बाहर होने से प्रधानमंत्री डेविड कैमरून के ऊपर उनकी बंटी हुई कंजर्वेटिव पार्टी का काफी दबाव है। वैसे ये अलग बात है कि डेविड कैमरून अभी सत्ता में बने रहेंगे क्योंकि जब तक उनका कोई उत्तराधिकारी पार्टी नहीं चुन लेती है।जब तक डिपार्चर ट्रिटी पर दस्तखत नहीं हो जाता हैं जिसमें ब्रिटेन और यूरपीय यूनियन के बाकी बचे 27 देशों की सहमति नहीं हो जाती है वे सैद्धांतिक तौर पर ब्रिटेन यूरोपिय संघ का पूर्ण सदस्य बना रहेगा। लेकिन, इसकी चर्चाओं से दूर रहेगा।ये भी पढ़ें- ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन से अलग होने की वजह कहीं मुसलमान तो नहीं ?कुछ ब्रेग्जिट कैंपेनर्स का कहना है कि ब्रिटेन को इस पर तत्काल कार्रवायी करनी चाहिए जैसे उदाहरण के लिए यूरोपीय संघ के बजट में फंडिंग को रोक देना चाहिए और यूरोपीय संघ के राज्यों के यहां रह रहे प्रवासियों में कटौती करना। जाहिर तौर पर ये कदम यूरोपीय यूनियन को और भड़काएगा। फिलहाल क्या हो रहा है?यूरोपीय परिषद के प्रमुख डोनाल्ड टस्क जो कि अगले हफ्ते होने जा रहे सम्मेलन की अध्यक्षता करेंगे लेकिन उन्होंने जनमत से पहले सभी नेताओं से बात की है। वे ब्रिटेन में जनमत की आधिकारिक घोषणा के बाद ईयू गवर्निंग बॉडी के परिषद के तौर अपना बयान जारी करेंगे।यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष जेन क्लाउड जंकर, यूरोपीय यूनियन के चीफ एग्जक्यूटिव, उसकी अध्यक्षता कर रहे टस्क और यूरोपीय संसद के प्रमुख मार्टिन सचुल्ज ब्रुसेल्स के बेर्लामोंट मुख्यालय में बैठक करेंगे। जिसमें डच के प्रधानमंत्री मार्क रुट भी शामिल होंगे। एक रेग्युलर बैठक के लिए लक्जमबर्ग में विदेशमंत्री इकट्ठा हो रहे हैं। यहां पर जर्मनी और फ्रांस के विदेशमंत्री अपने समकक्षीय और अन्य यूरोपीय संगठन के संस्थापकों से मिलेंगे जैसे इटली, नीदरलैंड्स, बेल्जियम और लग्जमबर्ग। टस्क की योजना है कि सभी प्रमुख राजधानियों जैसे रोम, बर्लिन, पेरिस का दौरा करें। शनिवार को बर्लिन में छह देशों के संस्थापक विदेशमंत्री मिल सकते हैं। क्या है आर्टिकल 50
लिस्बियन ट्रिटी के आर्टिकल 50 के मुताबिक, जो यूरोपीय यूनियन का सदस्य देश जो इससे बाहर निकलना चाहता है उसे यूरोपीय काउंसिल उससे बाहर निकलने की वजह के बारे में बताना होता है। इस संगठन को उसके फैसले पर विचार करना होता है और यूरोपीय संघ के साथ उसके भविष्य के रिश्ते को तय करना होता है। इसका फैसला परिषद को करना होता है जिसे सबकी मंजूरी लेनी होती है। ये ट्रिटी इस बैठक में जो देश उससे बाहर निकलना चाहते हैं वो इसका हिस्सा नहीं बनेंगे। यहां से कहां जाएगा यूरोपीय संघ?
यूरोपीय संघ को तत्काल ब्रिटेन के अलग होने के बाद 145 बिलियन यूरो के वार्षिक बजट में से खाली हुए 7 बिलियन यूरो की कमी की पूर्ति करनी होगी, क्योंकि करीब इतनी ही रकम होगी जितना ब्रिटेन के योगदान से मिलती या फिर उसको ना देने के बाद बचत होगी।ऐसा माना जा रहा है कि ब्रिटेन यूरोपीय मंत्रिपरिषद की अपनी छह महीने की अध्यक्षता छोड़ देगा क्योंकि ये अगले साल जुलाई से शुरू हो रही है। इसकी जगह पर एस्टोनिया या फिर संभवतया माल्टा या क्रोशिया को दी जाएगी। क्या बदलेगा ?सैद्धांतिक तौर पर फिलहाल कुछ भी बदलाव नहीं आएगा। ब्रिटेन यूरोपीय संघ का सदस्य बना रहेगा और पहले की तरह ही व्यापार करता रहेगा। लेकिन, व्यवहारिक तौर पर अगर देखें तो कई ऐसा मानते हैं कि व्यापार, निवेश, राजनीतिक फैसले ब्रिटेन के यूरोपीय संघ को छोड़ कर जाने को ध्यान में रखकर ही लिए जाएंगे।ब्रेक्सिट की वजह से दो साल के उच्चतम स्तर पर सोना, चांदी भी तेज
लिस्बियन ट्रिटी के आर्टिकल 50 के मुताबिक, जो यूरोपीय यूनियन का सदस्य देश जो इससे बाहर निकलना चाहता है उसे यूरोपीय काउंसिल उससे बाहर निकलने की वजह के बारे में बताना होता है। इस संगठन को उसके फैसले पर विचार करना होता है और यूरोपीय संघ के साथ उसके भविष्य के रिश्ते को तय करना होता है। इसका फैसला परिषद को करना होता है जिसे सबकी मंजूरी लेनी होती है। ये ट्रिटी इस बैठक में जो देश उससे बाहर निकलना चाहते हैं वो इसका हिस्सा नहीं बनेंगे। यहां से कहां जाएगा यूरोपीय संघ?
यूरोपीय संघ को तत्काल ब्रिटेन के अलग होने के बाद 145 बिलियन यूरो के वार्षिक बजट में से खाली हुए 7 बिलियन यूरो की कमी की पूर्ति करनी होगी, क्योंकि करीब इतनी ही रकम होगी जितना ब्रिटेन के योगदान से मिलती या फिर उसको ना देने के बाद बचत होगी।ऐसा माना जा रहा है कि ब्रिटेन यूरोपीय मंत्रिपरिषद की अपनी छह महीने की अध्यक्षता छोड़ देगा क्योंकि ये अगले साल जुलाई से शुरू हो रही है। इसकी जगह पर एस्टोनिया या फिर संभवतया माल्टा या क्रोशिया को दी जाएगी। क्या बदलेगा ?सैद्धांतिक तौर पर फिलहाल कुछ भी बदलाव नहीं आएगा। ब्रिटेन यूरोपीय संघ का सदस्य बना रहेगा और पहले की तरह ही व्यापार करता रहेगा। लेकिन, व्यवहारिक तौर पर अगर देखें तो कई ऐसा मानते हैं कि व्यापार, निवेश, राजनीतिक फैसले ब्रिटेन के यूरोपीय संघ को छोड़ कर जाने को ध्यान में रखकर ही लिए जाएंगे।ब्रेक्सिट की वजह से दो साल के उच्चतम स्तर पर सोना, चांदी भी तेज