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डेविड कैमरन चाहते तो न होता जनमत संग्रह और ना फैलती ब्रेक्जिट की आग

डेविड कैमरन ने बार-बार यही वादा किया था कि जनता की इच्छा को स्वीकार किया जाएगा।

By Gunateet OjhaEdited By: Updated: Fri, 24 Jun 2016 05:43 PM (IST)
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नई दिल्ली। क्या यूरोपीय संघ का जनमत संग्रह कानूनन बाध्यकारी है? तो इसका सीधा जवाब ''नहीं'' है। ब्रेक्जिट का विरोध कर रहे डेविड कैमरन चाहते तो जमनत संग्रह के विरुद्ध जाकर सांसदों पर यह फैसला छोड़ सकते थे, क्योंकि संसद संप्रभु है और जनमत संग्रह आम तौर पर ब्रिटेन में बाध्यकारी नहीं हैं। इस जनमत संग्रह का परिणाम ब्रिटेन की सरकार के लिए कानूनी तौर पर बाध्यकारी बिल्कुल नहीं था। लेकिन डेविड कैमरन ने बार-बार यही वादा किया था कि जनता की इच्छा को स्वीकार किया जाएगा।

इससे पहले जब 1975, में ब्रेक्जिट पर जनमत संग्रह हुआ था तब दक्षिणपंथी कंजरवेटिव सांसद हनोक पावेल ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि इससे राष्ट्रीय संप्रभुता को नुकसान होगा। उन्होंने तर्क दिया था कि इसका परिणाम अस्थाई होगा.. क्योंकि यह कानूनी रूप से संसद पर बाध्य नहीं किया जा सकता है।

इस परिणाम के तुरंत बाद, ब्रिटेन फिलहाल यूरोपीय संघ का सदस्य बना रहेगा और एकदम से कुछ नहीं बदलेगा। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पहले ही संकल्प ले चुके हैं कि यदि जनमत संग्रह का परिणाम यूरोपीय संघ को छोड़ देने के पक्ष में आता है तो वह वर्ष 2009 की लिस्बन संधि के 50वें अनुच्छेद को लागू करेंगे। यह अनुच्छेद यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के निकलने के लिए समूह के शेष 27 सदस्य देशों के साथ बातचीत शुरू करता है। इस प्रक्रिया में दो साल या इससे ज्यादा का समय लग सकता है। सभी पक्षों के सहमत होने पर बातचीत की अवधि को बढ़ाया भी जा सकता है। एक बार अनुच्छेद 50 को लागू कर दिए जाने पर, वापस यूरोपीय संघ में आना सभी सदस्य देशों की सहमति पर ही हो सकेगा।

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