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पहली बार इंटरनेट से मतपत्र डाउनलोड कर मतदान करेंगे अ‌र्द्धसैनिक बलों के जवान

भारत में अगले साल होने वाले आम चुनाव में पहली बार लाखों की संख्या में अ‌र्द्धसैनिक बलों के जवान इंटरनेट से मतपत्र डाउनलोड करने के बाद डाक के माध्यम इसे रिटर्निग आफिसर को भेज सकेंगे। बीएसएफ और सीआरपीएफ जैसे अ‌र्द्धसैनिक बलों की पहल पर चुनाव आयोग इस योजना पर काम रहा है।

By Edited By: Updated: Tue, 17 Dec 2013 06:18 PM (IST)

वाशिंगटन। भारत में अगले साल होने वाले आम चुनाव में पहली बार लाखों की संख्या में अ‌र्द्धसैनिक बलों के जवान इंटरनेट से मतपत्र डाउनलोड करने के बाद डाक के माध्यम इसे रिटर्निग आफिसर को भेज सकेंगे। बीएसएफ और सीआरपीएफ जैसे अ‌र्द्धसैनिक बलों की पहल पर चुनाव आयोग इस योजना पर काम रहा है।

अमेरिका की यात्रा पर आए मुख्य चुनाव आयुक्त वीएस संपत ने बताया कि इस योजना से देश के दूरदराज इलाकों में तैनात किए जाने वाले जवानों के लिए डाक के माध्यम से वोट डालना आसान हो जाएगा। कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री [सीआइआइ] के सहयोग से सोमवार को यहां पर भारतीय दूतावास में आयोजित कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा, 'मतपत्र को डाउनलोड करना वास्तव में सुझाव है। हम इस पर गंभीरता से रक्षा कर्मियों के लिए विचार कर रहे हैं। इस कदम से चुनाव के दौरान डाक मतपत्र को लेकर कम से कम एक तरफ की यात्रा का समय बचेगा। इसके बाद निर्भर करता है कि आप [मतदाता] कितनी जल्दी चुनाव आयोग के पास अपना मतपत्र भेजते हैं। बेहतर होगा कि वे किसी बढि़या कूरियर सेवा से इसे भेजें।' उन्होंने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव में अ‌र्द्धसैनिक बलों के जवानों के लिए यह प्रयोग किए जाने की संभावना है। इनकी संख्या दस लाख या ज्यादा हो सकती है। यह प्रयोग हमें बढि़या अनुभव देगा। अगर यह सफल होता है तो हम भी अन्य वर्गो के लिए इसे विस्तार देने के बारे में सोच सकते हैं।

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अप्रवासी भारतीयों द्वारा इंटरनेट पर वोटिंग को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि वह इंटरनेट पर वोटिंग के लिए सुरक्षित और बिना छेड़छाड़ वाली तकनीक की खोज में हैं। आपमें कुछ लोग आगे आकर बताएं कि इंटरनेट पर वोटिंग के लिए हमें कैसे बिना छेड़छाड़ वाली तकनीक मिल सकती है। वर्तमान में इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन को लेकर लोगों के शक को दूर करने में हमें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में इंटरनेट पर सुरक्षित वोटिंग कैसे शुरू कर सकते हैं। जब हमें पक्का यकीन हो जाएगा कि इंटरनेट पर वोटिंग सुरक्षित है और इसमें छेड़छाड़ संभव नहीं तभी हम इसे शुरू करने को लेकर नीति निर्माताओं को बता पाने की स्थिति में होंगे। संपत ने कहा कि चुनाव आयोग इंटरनेट पर वोटिंग के विकल्प को लेकर गंभीर है। इसके लिए चुनाव आयोग को कानूनी ढांचे की आवश्यकता होगी। मौजूदा कानूनों के तहत एनआरआइ पोस्टल वोटिंग के पात्र नहीं हैं। उनके मुताबिक डाक मतपत्र सफल नहीं रहे हैं।

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