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मिस्र में 683 मुर्सी समर्थकों को मौत की सजा

मिस्र की एक अदालत ने सोमवार को मुस्लिम ब्रदरहुड के शीर्ष नेता मुहम्मद बादी और उनके 682 समर्थकों को मौत की सजा सुनाई। अदालत के इस फैसले से अगले महीने होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले देश में हिंसा की आशंका प्रबल हो गई है। विश्व के आधुनिक इतिहास में संभवत: पहली बार इतनी बड़ी संख्या में अपराधियों को एकसाथ मौत की सजा सुनाई गई है।

By Edited By: Updated: Mon, 28 Apr 2014 07:59 PM (IST)
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मिनया [मिस्र]। मिस्र की एक अदालत ने सोमवार को मुस्लिम ब्रदरहुड के शीर्ष नेता मुहम्मद बादी और उनके 682 समर्थकों को मौत की सजा सुनाई। अदालत के इस फैसले से अगले महीने होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले देश में हिंसा की आशंका प्रबल हो गई है। विश्व के आधुनिक इतिहास में संभवत: पहली बार इतनी बड़ी संख्या में अपराधियों को एकसाथ मौत की सजा सुनाई गई है।

पिछले साल मुस्लिम ब्रदरहुड समर्थक राष्ट्रपति मुहम्मद मुर्सी को सेना द्वारा अपदस्थ करने के बाद देश में भड़की हिंसा में सैकड़ों लोग मारे गए थे। जिसके बाद से देश में राजनीतिक अस्थिरता कायम है। दोषियों को पिछले साल 14 अगस्त को दक्षिणी मिस्त्र के मिनया में भड़की हिंसा में कई पुलिसकर्मियों की हत्या के प्रयास में लिप्त पाया गया है। 683 दोषियों में 50 हिरासत में हैं जबकि बाकी जमानत पर या फिर फरार चल रहे हैं। फैसला आने के बाद अदालत के बाहर इंतजार कर रही दोषियों की कई महिला रिश्तेदार बेहोश हो गई। 70 वर्षीय बादी ने वर्ष 2010 में पार्टी की अगुवाई करनी शुरू की थी। उन्होंने सेना द्वारा मुर्सी को अपदस्थ करने की निंदा की थी। बादी को सुनाई गई मौत की सजा को अभी मुफ्ती की मंजूरी मिलना बाकी है। हालांकि उनकी राय कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है और अदालत उसे नजरअंदाज कर सकती है। इस फैसले के खिलाफ अपील भी की जा सकती है। उधर, एक अलग मामले में इसी अदालत ने पिछले महीने 529 मुर्सी समर्थकों को दी गई फांसी की सजा में से 492 समर्थकों की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया। जबकि 37 लोगों की मौत की सजा को बरकरार रखा। करीब तीन दशक तक सत्ता पर काबिज रहे सैन्य तानाशाह होस्नी मुबारक को वर्ष 2011 में भड़के जनविद्रोह के बाद पद से हटना पड़ा था। इसके बाद हुए चुनाव में मुर्सी की पार्टी ने भारी जीत हासिल की थी।

मुबारक को अपदस्थ करने में मदद करने वाले संगठन पर प्रतिबंध

काइरो। यहां की स्थानीय अदालत ने वर्ष 2011 में सैन्य तानाशाह होस्नी मुबारक को अपदस्थ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले लोकतंत्र समर्थक संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया है। सरकारी अखबार अल अहराम की वेबसाइट पर न्यायिक सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी गई है। अदालत ने यह फैसला एक वकील द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद दिया है। 'अप्रैल सिक्स' उन संगठनों में से एक था जिसने सोशल मीडिया के जरिए 25 जनवरी, 2011 को मुबारक शासन के खिलाफ लोगों से सड़कों पर उतरने का आह्वान किया था। यह ऐतिहासिक विरोध प्रदर्शन आगे चलकरमुबारक के पतन का कारण बना था। इस संगठन के तीन अग्रणी सदस्यों को पिछले साल दिसंबर में गैरकानूनी तरीके से विरोध करने के आरोप में तीन साल की सजा सुनाई गई थी। उनकी अपील अप्रैल में खारिज कर दी गई थी। काइरो की इसी अदालत ने पिछले साल मुस्लिम ब्रदरहुड पर प्रतिबंध लगा दिया था।

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