मुस्लिमों पर नजर रखना अमेरिकी संविधान का उल्लंघन नहीं
न्यूयॉर्क। न्यूयॉर्क पुलिस द्वारा मुस्लिमों पर नजर रखने के लिए चलाए जा रहे खुफिया कार्यक्रम को अमेरिकी अदालत ने संवैधानिक करार दिया है। पुलिस मस्जिदों, मुस्लिम कारोबारियों और छात्र समूहों की कड़ी निगरानी रख रही है। इस कार्यक्रम के खिलाफ दायर याचिका पर न्यूजर्सी के न्यूयार्क जिला जज विलियम मार्टिनी ने कहा कि पुलिस का यह
By Edited By: Updated: Sat, 22 Feb 2014 07:08 PM (IST)
न्यूयॉर्क। न्यूयॉर्क पुलिस द्वारा मुस्लिमों पर नजर रखने के लिए चलाए जा रहे खुफिया कार्यक्रम को अमेरिकी अदालत ने संवैधानिक करार दिया है। पुलिस मस्जिदों, मुस्लिम कारोबारियों और छात्र समूहों की कड़ी निगरानी रख रही है। इस कार्यक्रम के खिलाफ दायर याचिका पर न्यूजर्सी के न्यूयार्क जिला जज विलियम मार्टिनी ने कहा कि पुलिस का यह अभियान गैर कानूनी नहीं है।
मीडिया में कार्यक्रम का खुलासा होने के बाद न्यूजर्सी के कई मुस्लिम संगठनों ने आरोप लगाया था कि न्यूयॉर्क पुलिस द्वारा धार्मिक आधार पर उन्हें निशाना बना रहा है। मीडिया रिपोर्टो में बताया गया था कि सितंबर, 2011 के हमले के बाद से ही पुलिस मुस्लिम संगठनों पर नजर रख रही है। याचिकाकर्ता सैयद फरहाज हसन ने अदालत में कहा था कि पुलिस के कार्यक्रम से उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल होने की छूट प्रभावित होती है। इसके अलावा उनकी नौकरी पर भी खतरा मंडरा रहा है। पढ़ें : अमेरिका की चेतावनी, जूता बम से सावधान रहें विमानन कंपनियां जज मार्टिनी ने 10 पेज के आदेश में कहा कि निगरानी कार्यक्रम मुस्लिमों के बजाय आतंकवाद के खिलाफ है। कार्यक्रम के खुलासे से मुस्लिम समुदाय पर बुरा प्रभाव जरूर पड़ा है। मगर, निगरानी कार्यक्रम का उद्देश्य गलत नहीं। इस खुफिया कार्यक्रम के जरिये कानून का पालन करने वाले मुस्लिमों में छिपे आतंकवादियों का पता लगाना है।
इस आदेश का संवैधानिक अधिकार केंद्र के बेहर आजमी ने विरोध किया है। आजमी भी इस कार्यक्रम के खिलाफ लड़ाई छेड़े हुए हैं। उन्होंने इसकी तुलना 1944 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान आए सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश से की, जिसमें जापानी मूल के अमेरिकी नागरिकों की नजरबंदी को वैध करार दिया गया था। उन्होंने कहा कि यह धार्मिक और जातीय भेदभाव को बढ़ावा देने वाला खतरनाक आदेश है। हम इसके खिलाफ उच्च अदालत में अपील करेंगे। शहर के कानून मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस आदेश पर कुछ भी बोलने से इन्कार कर दिया। इस कार्यक्रम का पता लगने के बाद 2012 में कुछ मुस्लिम वकीलों ने केस दाखिल किया। इसके बाद कई मुस्लिम और अधिकार समूह भी इसमें जुड़ गए। इस केस के खिलाफ मैनहटन संघीय अदालत में भी मामला दाखिल हुआ था। न्यूयॉर्क के पूर्व मेयर माइकल ब्लूमबर्ग और पुलिस अधिकारियों ने खुफिया निगरानी कार्यक्रम का बचाव किया था। उनका कहना था कि आतंकवाद के खिलाफ चल रही लड़ाई में सफल होने के लिए ऐसा करना जरूरी है। हालांकि, शहर के नए मेयर बिल डि ब्लासिओ ने अभी तक इस बारे में कुछ नहीं कहा है।