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फोले के अपहर्ताओं ने मांगी थी 800 करोड़ की फिरौती

इस्लामिक स्टेट [आइएस] आतंकियों की बर्बरता का शिकार हुए अमेरिकी पत्रकार जेम्स फोले के अपहर्ताओं ने कुछ समय पहले उन्हें छोड़ने के एवज में उनके परिवार और कंपनी से 13.2 करोड़ डॉलर [करीब

By Edited By: Updated: Thu, 21 Aug 2014 10:29 PM (IST)
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वाशिंगटन। इस्लामिक स्टेट [आइएस] आतंकियों की बर्बरता का शिकार हुए अमेरिकी पत्रकार जेम्स फोले के अपहर्ताओं ने कुछ समय पहले उन्हें छोड़ने के एवज में उनके परिवार और कंपनी से 13.2 करोड़ डॉलर [करीब 800 करोड़ रुपये] की फिरौती मांगी थी। लेकिन, 'ग्लोबल पोस्ट' के लिए फ्रीलांसिंग कर रहे इस पत्रकार की हत्या से पहले आतंकियों ने कोई मांग नहीं रखी थी।

ग्लोबल पोस्ट के प्रेसीडेंट और सीईओ फिलिप बाल्दोनी ने फिरौती की मांग के बारे में खुलासा किया। लेकिन, आइएस आतंकियों से इस बारे में हुई बातचीत के बारे में उन्होंने कुछ नहीं बताया। उन्होंने कहा, 'हमने उपयुक्त सरकारी एजेंसियों को इस बारे में सूचना दे दी थी। पिछले हफ्ते फोले के परिवार को संदेश आया कि फोले को मार दिया जाएगा। संदेश भेजने वाला अमेरिका के खिलाफ गुस्से में था। हमें उम्मीद थी कि वे दया दिखाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ।' फोले का नवंबर, 2012 में सीरिया में अपहरण कर लिया गया था।

दुनियाभर में आलोचना

फोले की हत्या की पूरी दुनिया में निंदा हुई है। आइएस आतंकियों ने बुधवार को एक वीडियो जारी किया था जिसमें एक आतंकी को फोले का सिर कलम करते दिखाया गया था। संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने इसे आइएस का घिनौना कृत्य बताया है। अरब लीग और कतर ने भी इस हत्या की भ‌र्त्सना की है। अरब लीग ने कहा, इस्लाम में ऐसे कृत्यों की जगह नहीं है।

बंधकों की रिहाई के लिए अमेरिका ने किया था नाकाम प्रयास

सीरिया में आइएस द्वारा बंधक बनाकर रखे गए पत्रकार जेम्स फोले और अन्य अमेरिकी नागरिकों की रिहाई के लिए अमेरिका ने एक गुप्त अभियान चलाया था, लेकिन इसमे उसे नाकामी का मुंह देखना पड़ा। फोले की हत्या के बाद ह्वाइट हाउस और अमेरिका रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने यह बात कबूल की।

ओबामा प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सीरिया के दूरदराज इलाकों में विशेष बल तैनात किए गए थे। इस अभियान में अमेरिका के कई दर्जन कमांडर शामिल थे। आतंकियों के साथ भीषण संघर्ष में इनमें से कुछ घायल भी हो गए थे। पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन किर्बी ने भी कहा कि दुर्भाग्यवश अभियान सफल नहीं हो पाया क्योंकि अपहर्ताओं ने बंधकों को दूसरी जगह भेज दिया था।

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