चीन में काम कर रहीं विदेशी कंपनियां कम्युनिस्टों से परेशान
चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग चाहते हैं कि चीन में काम कर रही कंपनियों में कम्युनिस्ट पार्टी की गहरी पैठ हो।
बीजिंग (रायटर) । चीन की सत्ता पर कम्युनिस्ट पार्टी का दबदबा कोई नई बात नहीं है, लेकिन अब कॉरपोरेट क्षेत्र पर भी कॉमरेड अपना वर्चस्व कायम करने में जुटे हैं। इससे चीन में काम कर रहीं बहुराष्ट्रीय कंपनियां दहशत में हैं। हालात यह है कि सभी कंपनियों पर अपने यहां कम्युनिस्ट पार्टी की शाखाओं को काम करने की इजाजत देने का दबाव है।
इस स्थिति पर चर्चा के लिए यूरोप की एक दर्जन से अधिक कंपनियों ने बीजिंग में गोपनीय बैठक की। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग चाहते हैं कि समाज के हर वर्ग में कम्युनिस्ट पार्टी की गहरी पैठ हो। इससे विदेशी कंपनियां भी अछूती नहीं हैं। चीन में मौजूद लगभग 11 लाख से अधिक छोटी-बड़ी कंपनियों में अधिकतर में कम्युनिस्ट पार्टी की शाखाएं कार्यरत हैं।
ऐसा विदेशी कंपनियों (सैमसंग व नोकिया को छोड़) में नहीं है, लेकिन अब इन्हें भी कम्युनिस्ट पार्टी की छतरी तले आने का निर्देश दिया जा रहा है। बैठक में शामिल एक बहुराष्ट्रीय कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उनपर चीनी कंपनियों के साथ हुए संयुक्त उपक्रम के समझौते में बदलाव लाने का राजनीतिक दबाव है। इसमें यह शर्त शामिल करने को कहा जा रहा है कि कंपनी के कामकाज व निवेश पर कम्युनिस्ट पार्टी ही अंतिम तौर पर निर्णय लेगी।
इसके अतिरिक्त कॉमरेडों को मैनेजमेंट में शामिल करने व पार्टी की स्थानीय शाखाओं के खर्च को कंपनी के बजट में डालने का निर्देश दिया गया है। इतना ही नहीं कंपनी बोर्ड का चेयरमैन ही कम्युनिस्ट पार्टी की संबंधित शाखा का सचिव भी होगा। हालांकि कम्युनिस्ट पार्टी के प्रवक्ता ने कंपनियों के कामकाज में सीधे तौर पर हस्तक्षेप से साफ इन्कार किया। केवल इतना भर कहा कि कम्युनिस्ट पार्टी की गतिविधियां सामान्य तौर पर कंपनियों के इर्द-गिर्द रहती हैं। इससे कारखानों को देश के मूल्यों, सिद्धांतों को समझने के साथ अन्य कई फायदे होते हैं।
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